ट्रेनिंग के लिए पलायन को मजबूर उत्तराखण्ड के क्रिकेटर

जहां एक तरफ देश में आईपीएल का रोमांच चरम पर है,और खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का लोहा भी मनवा रहे हैं। दूसरी ओर उत्तराखण्ड के खिलाडियों की बात करें तो उन्हें ट्रेनिंग के लिए भी भटकना पड़ रहा है।बीसीसीआई ने उत्तराखण्ड को बिना मान्यता दिए बीच का रास्ता निकालकर यहां के खिलाड़ियों को अपने घरेलू सत्र में शामिल तो कर लिया,लेकिन अब सत्र समाप्त होने के बाद खिलाडियों को ट्रेनिंग के लिए भटकना पड़ रहा है। जबकि अन्य राज्यों की एसोसिएशन ने खिलाड़ियों की ट्रेनिंग के लिए विशेष शिविर लगाने शुरु कर दिए हैं। जिस्में प्रशिक्षित व अनुभवी कोच खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं।पिछले 18 सालों से राज्य में क्रिकेट के संचालन के लिए क्रिकेट संघ आपसी लड़ाई लड़ रहे हैं, जिससे अभी तक खिलाड़ियो को काफी नुकसान हो चुका है। ऐसे में बीसीसीआई ने खिलाड़ियों के भविष्य को देखते हुए बीच का रास्ता निकालकर एक साल के लिए उत्तराखण्ड क्रिकेट कंसेंसस कमेटी का गठन कर क्रिकेट का संचालन किया, जिसका कार्यकाल भी 31 मार्च को समाप्त हो गया है।

पहले सत्र में उत्तराखण्ड की सभी टीमों का प्रदर्शन शानदार रहा,लेकिन सत्र समाप्त होने के बाद खिलाड़ियों की कोई सुध लेने वाला नहीं है।ऐसे में कई खिलाड़ी अन्य राज्यों की एकेडमियों की तरफ रुख कर रहे हैं, जबकि आर्थिक रुप से तंगी से जूझ रहे खिलाड़ियों के लिए बाहर जाना संभव नहीं हैं,ऐसी परिस्थिति में कैसे ये युवा खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम व आईपीएल जैसे बड़े आयोजनों के लिए अपनी प्रतिभाओं को निखार पायेंगे।