छानियों को होम स्टे योजना से जोड़ने का प्रस्ताव।

राज्य सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ऊंचे पहाड़ों पर बनी छानियों (घास-फूस के छत वाले मकान) को होम स्टे योजना के अन्दर लाने पर विचार कर रही है। यह सुझाव मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने दिया है, पर्यटन विभाग इस योजना का प्रस्ताव बनाने जा रहा है। जल्द ही इसे अमलीजामा पहनाया जा सकता है। पहाड़ी जिलों में स्थित गांव के लोग बरसात के मौसम में अपने पशुओं को चराने के लिये बुग्याल "पहाड़ का 9000 फीट से ऊंचाई वाला इलाका, जहां सिर्फ मखमली घास पाई जाती है" की ओर रुख करते हैं। गोवंशीय पशु, भैंस और घोड़े-खच्चर इन चरागाहों में चरते हैं, और उनके मालिक अस्थायी व्यवस्था के तहत यहां बनाई गई छानियों में ही प्रवास करते हैं। बरसात के मौसम में लगभग चार माह के प्रवास के दौरान सर्दी शुरू होते ही ये पशुपालक अपने पशुओं समेत गांव वापस लौट आते हैं। उसके बाद ये छानियां खाली पड़ी रहती हैं।इन छानियों का इस्तेमाल रोजगार सृजन के लिये किया जा सके, इस पर शासन स्तर पर विचार चल रहा है। पर्यटन विभाग से सम्बंधित एक बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने अपनी ओर से यह सुझाव पर्यटन विभाग के अधिकारियों को दिया था। उसके बाद से पर्यटन विभाग इसकी रूपरेखा बनाने में जुट गया है।
हालांकि अगस्त 2018 में उत्तराखण्ड़ हाईकोर्ट  के फैसले के बाद से बुग्यालों में कैम्पिंग और रात्रि विश्राम पर पूर्ण रूप से रोक लगी हुई है। कोर्ट के इस फैसले से राज्य में चल रहा साहसिक पर्यटन व्यवसाय खासतौर पर ट्रेकिंग की गतिविधियां प्रभावित हुई हैं, और ट्रेकिंग से जुड़े स्थानीय लोगों के रोजगार पर खासा असर पड़ा। छानियों को होम स्टे योजना से तहत विकसित किये जाने का प्रस्ताव तो अच्छा है, लेकिन इसमें हाईकोर्ट के आदेश को भी ध्यान में रखना होगा। यह देखा जाना भी आवश्यक होगा कि कौन सी छानियां बुग्याल क्षेत्र से बाहर हैं, और उसके अंदर।काश्तकार की खुद की भूमि पर और बुग्याल की परिधि से बाहर स्थित छानियां होम स्टे के दायरे में आ सकती हैं। इससे पहाड़ों पर स्थित छानियों को गेस्ट हाउस के तौर पर उपयोग हो सकेगा।