चंद्रयान-2 से जुड़ा ये किस्सा क्या आपने पहले सुना है?

22 जुलाई का वो अहम दिन था जब भारत के बाहुबली रॉकेट GSLV_lll को चंद्रयान 2 के साथ लांच किया गया था,48 दिनों के अब तक के सबसे बड़े मिशन पर भारत का चंद्रयान 7 सितम्बर को चांद की धरती पर उतरने वाला है।चंद्रयान ने 24 जुलाई को धरती की पहली कक्षा में प्रवेश किया था,जिसके बाद चंद्रयान 2 से पृथ्वी की कुछ तस्वीरे भी खींची गई थी। पृथ्वी की कक्षा से निकलने के बाद चंद्रयान को चाँद के करीब पहुँचने में पूरे 23 दिन लग गए थे।
चंद्रयान 2 के बारे में कुछ दिलचस्प बातें जो हमे सूत्रों से पता चली हैं,आपको शायद नही पता हो, चलिए आज आप भी जानिए, एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी, "घर मे छोरी और गली में ढिंढोरा"।मतलब जिस चीज़ की तलाश आप पूरे मोहल्ले में कर आये हो वो आपके ही घर मे मौजूद हो ।चंद्रयान 2 के सफल प्रेक्षण में भी कुछ ऐसा ही हुआ था,चंद्रयान 2 चाँद पर उतरकर चाँद की सतह पर खोजबीन करेगा, इसके लिए धरती पर ही कुछ प्रयोग करने थे,इसरो ने चाँद की सतह पर मौजूद मिट्टी की तलाश की, तो मालूम हुआ कि ऐसी मिट्टी नासा के पास उपलब्ध हो सकती है, लेकिन नासा ने मिट्टी की कीमत एक किलोग्राम के लिए 10 हज़ार रखी,और चंद्रयान 2 के प्रयोग के लिए 60 टन मिट्टी चाहिए थी,अचानक पता चला कि तमिलनाडु के सलेम के पास नामक्कल ज़िले में एक दो ऐसे गाँव है जहाँ चाँद की मिट्टी से मिलती जुलती चट्टानें मौजूद है,सितमपोंडी और कुन्नमलाई गांवों में एनआर्थोसाइट की चट्टानें मिल गयी,जिसकी मिट्टी 90% तक चाँद की मिट्टी से मिलती जुलती थी,चट्टानों को पीस कर मिट्टी बनाई गई और करोड़ों रुपयों का काम बस 12 लाख में पूरा किया गया,आखिर देश की मिट्टी ही इस सफल प्रेक्षण में काम आयी। चंद्रयान से जुड़ा है ना ये दिलचस्प वाक्या?