कोरोना मार - पर्यटन सीजन के बावजूद फूलों की हो रही है बर्बादी,नर्सरी में ही सूख रहे हैं फूल

शादियों के सीजन हो या पर्यटकों का सीजन बिना फूलों के कोई भी सीजन आकर्षक नही हो सकता।यही दिन हुआ करते थे जब सबसे ज़्यादा बिक्री फूलों की हुआ करती थी लेकिन कोरोना वायरस की मार हमेशा ख़ुशबू देने वाले फूलों की बिक्री पर भी पड़ रही है।नैनीताल के भीमताल में फूलों के कारोबार से जुड़े काश्तकार और व्यवसाई फूलों की बिक्री को लेकर इनदिनों बेहद परेशान है हालांकि राज्य सरकार द्वारा उन्हें छूट तो मिली है लेकिन ना तो इन्हें कोई खरीदार मिल रहा है न ही फूलों का कोई सदुपयोग ही हो पा रहा है,जिस कारण उनके फूल नर्सरी में ही बर्बाद हो रहे हैं ।यहां तकरीबन 30 से 35 नर्सरिया इस वक्त भीमताल में कार्य कर रही हैं, लेकिन इस लॉक डाउन के चलते उनका कारोबार चौपट हो गया है, उत्तराखंड के पहाड़ो में सीजन के वक्त उनके फूलों की बिक्री अधिक मात्रा में होती थी क्योंकि पर्यटकों के स्वागत के लिए होटलों और रेसॉर्ट को खूब सजाया जाता था,लेकिन अब लॉक डाउन के चलते होटल व्यवसाय भी पूरी तरह ठप हो चुके है जिसकी वजह से फूल भी नहीं बिक पा रहे हैं और अभी फूल नर्सरी में ही सुख रहे हैं जिससे यह नर्सरी का व्यवसाय करने वाले लोग के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया हैं ।
नर्सरी व्यवसाय करने वालो का कहना है इस बार जो हुआ वह सही मगर आने वाली नई फूलों की खेती के लिए अगर सरकार उन्हें बीज व खाद एक नर्सरी से दूसरी नर्सरी में पहुंचाने की परमिशन दे दे तो आने वाले सीजन की तैयारी की जा सके अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में रोजी और रोटी का संकट आ जाएगा। जिला प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि हम कम से कम अपने फूलों को बचाने के लिए खाद वह अन्य सामग्री अपनी दूसरी नर्सरी तक पहुंचा सके।