कोरोना काल के सबसे बड़े वारियर आंदोलनरत, शोषण का आरोप, प्रभावित हो सकती है कोरोना की जांच

उत्तराखंड के कोरोना काल में सबसे कठिन परस्थितियों में काम करने वाला अस्पताल स्टाफ अब अपने शोषण के खिलाफ आंदोलनरत है। डाक्टरों के साथ-साथ अपनी जान को खतरे में डालकर काम करने वाले लैब टेक्निशयन आंदोलनरत हैं, लैब टेक्नीशियनो ने आंदोलन का ऐलान अस्पतालों में काम पर बुरा असर डाल सकता है। आगामी 08 अक्टूबर से लैब टेक्नीशियन आंदोलन शुरू करेंगे। रोजाना लैब टेक्नीशियन रोजाना 10 से 14 घण्टे कार्य कराए जाने से नाराज है। स्वास्थ्य विभाग से उत्पीड़न बंद करने और लैब टेक्नीशियनो की भर्ती करने की मांग को लेकर उनका ये आंदोलन चलेगा। 8 से 12 अक्टूबर तक लैब टेक्नीशियन काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। 13 अक्टूबर से ओपीडी की लैब सेवाओं का बहिष्कार करेंगे।
कोरोना काल में अपनी जान की परवाह किये बिना दिन रात काम करने वाले लैब टेक्नीशियन अपने शोषण का विरोध कर रहे है। स्वास्थ्य विभाग पर उन्होंने रोजाना 14 घंटे काम करवाने का आरोप लगाया जिसको लेकर अब सभी टेक्नीशियन इसका विरोध कर रहे है। साथ ही और लोगो की भर्ती की मांग कर रहे है कोरोना की जांच में सबसे बड़ा काम करने वाले इन टेक्निशयनो के आंदोलनरत होने से कोरोना की जांच प्रभावित हो सकती है।
उत्तराखंड मेडिकल लैब टेक्नीशियन एसोसिएशन ने चरणबद्ध आंदोलन का ऐलान किया है। लैब टेक्नीशियनो ने 8 अक्टूबर से आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है। 8 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक लेब टेक्नीशियन काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। इसके बाद भी मांगे न माने जाने पर 13 अक्टूबर से ओपीडी की लैब सेवाओ का बहिष्कार किया जाएगा। एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव मनोज मिश्रा का कहना है कि लैब टेक्नीशियन कोरोनाकाल में जान जोखिम में डालकर दिन-रात काम कर रहे हैं। कोविड की सैंपलिग हो या फिर सैंपलों की जांच करना इन सभी का जिम्मा लैब टेक्नीशियनों पर है। हर लैब टेक्नीशियन रोजाना 12 से 15 घंटे बिना रुके हुए काम कर रहा है जिससे लेब टेक्नीशियन परेशान है। स्वास्थ्य विभाग को दिए ज्ञापन में उत्पीड़न बंद करने और नए लेब टेक्नीशियनों की भर्ती किये जाने की मांग है।