ऊधम सिंह नगर में भू-माफियों का बज रहा हैं डंका

 एक तरफ जहां केंद्र और प्रदेश सरकार किसानों की आय दोगुनी व हर सुविधाएं देने की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ भूमाफिया लालच देकर किसानों की बेस कीमती  कृषि योग्य जमीन औने-पौने दामों में खरीदकर खेती योग्य जमीन पर अवैध कॉलोनी तैयार करने में  बहुत समय से सक्रिय हैं। जिला मुख्यालय पर औधोगिक क्षेत्र लगने के बाद से जिला मुख्यालय से लगे आसपास के गांवों की जमीन के दाम जहां आसमान छूने लगे तो भू माफियाओं ने यहाँ अपना बसेरा बना लिया ।

एक तरफ जहां केंद्र और प्रदेश सरकार किसानों की आय दोगुनी व हर सुविधाएं देने की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ भूमाफिया लालच देकर किसानों की बेस कीमती  कृषि योग्य जमीन औने-पौने दामों में खरीदकर खेती योग्य जमीन पर अवैध कॉलोनी तैयार करने में  बहुत समय से सक्रिय हैं। जिला मुख्यालय पर औधोगिक क्षेत्र लगने के बाद से जिला मुख्यालय से लगे आसपास के गांवों की जमीन के दाम जहां आसमान छूने लगे तो भू माफियाओं ने यहाँ अपना बसेरा बना लिया ।





ऊधम सिंह नगर जिला मुख्यालय में औद्योगिक क्षेत्र लगने के बाद मुख्यालय के आसपास की बेशकीमती कीमती खेती योग्य जमीन पर अवैध कॉलोनी बसाने का सिलसिला शुरू हो गया है।  एक-एक कर भू माफियाओं ने मुख्यालय के आसपास के गांव की जमीनों को ओने पौने दाम किसानों को देकर अवैध कालोनियां काट दी ।


 बीतते वक्त के साथ ऊधम सिंह नगर आबाद होता गया तो खेती जमीन के साथ सरकारी जमीन भी एक-एक कर भू माफिया की भेंट चढ़ती गई। वर्तमान में शहर के अंदर इतनी सरकारी जमीन भी नहीं बची कि प्रशासन बिना अतिक्रमण हटाए आंगनबाड़ी के दो कमरे बनवा सके। शहर की सरकारी जमीन तो छोडि़ए.., शहर में सक्रिय भू-माफिया ने तालाब, पार्क और सड़क तक नहीं छोड़ी। पूरा शहर भू-माफिया के आतंक से परेशान है। भू-माफिया ने राजस्व अमले के साथ मिलीभगत कर शहर की सरकारी जमीनों पर प्लॉट काट दिए। अवैध कॉलोनियां काट कर उपभोक्ताओं को जमकर लूटा। आज हकीकत यह है कि शहर की आरक्षित जमीन भी नहीं छोड़ी।


आज शहर में अवैध कॉलोनियों की भरमार है। निगम प्रशासन और प्रधिकरण विभाग जारी सूची पर गौर करें तो शहर और शहर के आस पास कई अवैध कॉलोनियां हैं। हद तो यह है कि कॉलोनाइजर्स ने पहले उपभोक्ताओं को रिझाने के लिए कॉलोनियों के अंदर पार्क के लिए जमीन आरक्षित की लेकिन जब कॉलोनी में काटे गए सभी प्लॉट बिक गए तो अंत में पार्क के लिए आरक्षित जमीन भी बेच ली। शहर में काटी गई अधिकांश अवैध कॉलोनियों से पार्क गायब हैं। जिला प्रशासन यदि कॉलोनियों की जांच करेगा तो पार्क की जमीन हड़पने वाले एक दर्जन से अधिक कॉलोनाइजर्स का खुलासा हो सकता है।


शहर में बस रहीं अवैध कॉलोनियों पर रोक लगाने एवं गिराने की जिम्मेदारी जिस प्रधिकरण व निगम प्रशासन पर है उसके अफसरों ने स्वयं अवैध कॉलोनी बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। शहर में एक के बाद एक बिना प्रशासन की स्वीकृति के माफिया सरकारी जमीनों पर बिल्डिंग तानते रहे और सम्बंधित विभाग के जिम्मेदार आंख बंदकर बैठे रहे। परिणाम यह है कि आज शहर और पास पास के गांव में प्रशासन को सड़क बनाने और नाली निकालने के लिए भी जमीन खोजे नहीं मिल रही। 

प्रदेश सरकार ने भू माफिया एवं खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। शहर की सरकारी जमीनों पर बसी अवैध कॉलोनियों, निजी आराजियों में काटी गई अवैध कॉलोनियों एवं खदानों की जांच कराई  जाने के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन इसकी जमीनी हकीकत देखी जाए तो नजारा कुछ और ही मिलता है ऐसा नहीं है संबंधित विभाग कार्रवाई नहीं करता है शिकायत मिलने पर संबंधित विभाग कार्रवाई के नाम पर मोटी गेटिंग सेटिंग कर अवैध कॉलोनी कटने का सिलसिला बस्तूर चलने देते हैं।