उत्तराखंड से पलायन रोकने में सरकारें रही नाकाम

उत्तराखंड में पलायन एक बड़ी समस्या रही है। राज्य बनने के बाद से और ज्यादा पलायन बड़ा है सरकारी कोई भी रही हो लेकिन पलायन रोकने में सरकार है सिर्फ नाकाम रही हैं। हाल ही में पलायन आयोग द्वारा अल्मोड़ा जनपद को  लेकर सौंपी गई रिपोर्ट मैं चौंकाने वाले आंकड़े हैं।
आंकड़े-
1- 2001 से 2011 तक करीब 70000 लोगों ने अल्मोड़ा जनपद के अपने पैतृक गांव से पलायन किया है 

2-  646 पंचायतों से 16207 लोगों ने स्थाई रूप से अपने गांव छोड़ दिए हैं

3- 2001 से 2011 तक जनपद में 1022 ग्राम पंचायतों में 53611 लोगों ने जनपद से बाहर पलायन नही किया है । 

4-  2011 की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा की 6 लाख 22 हजार 506 आबादी

5- 89 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है।

6- 3189 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है अल्मोड़ा जनपद

7- जनपद में रहने वाले परिवारों की संख्या एक लाख 40 हजार 577

8- दस वर्षों में शहरी क्षेत्रों की आबादी में 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी
उत्तराखंड के त्रिवेंद्र रावत सरकार ने पहाड़ों में बढ़ते पलायन को रोकने के लिए पलायन आयोग की स्थापना की। जिसके जरिए पलायन के सही आंकड़े और पलायन के लिए महत्वपूर्ण कारणों को जानने की कोशिश की गई। अब तक पलायन आयोग ने पौड़ी जनपद को लेकर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी कि किस तरह पौड़ी जनपद में बड़े पैमाने में पलायन हो रहा है। वही हाल ही में अब पलायन आयोग ने अल्मोड़ा जनपद को लेकर  अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी है। जिस रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य बनने के बाद से सन 2011 तक जनपद से करीब 70000 लोगों ने अपने पैतृक गांव से पलायन कर लिया है। जिसका मुख्य कारण इन क्षेत्रों में बिजली पानी स्वास्थ्य और शिक्षा की उचित व्यवस्था नहीं होना है। इतना ही नहीं 646 पंचायतों से 16207 लोगों ने स्थाई रूप में पलायन कर लिया है। मामले में सीएम त्रिवेंद्र रावत का कहना है कि पलायन में कई आंकड़े ऐसे हैं जहां लोगों ने एक क्षेत्र से पास के ही दूसरे क्षेत्रों में पलायन किया है और कई ऐसे मामले हैं जिसमें जनपद बदला गया है ऐसे में यह कहना सही नहीं होगा कि सभी लोग प्रदेश से पलायन कर गए सरकार लगातार प्रयासरत है और कोशिश कर रही है कि पहाड़ों में लोग रुके और पलायन की घटना कम हो। तो वहीं पलायन के आंकड़ों को लेकर सूबे के पूर्व सीएम हरीश रावत ने तंज कसते हुए कहा है कि पलायन आयोग खुद ही पलायन कर गया और पौड़ी के बजाय अब देहरादून से कामकाज देख रहा है ऐसे में वह कैसे जमीनी हकीकत को बता पाएगा सरकार के लिए जरूरत है कि पलायन के कारणों को जाना जाए और लोगों को अपने ही गांव में रहने के लिए प्रेरित किया जाय।