उत्तराखंड में पांचों लोकसभा सीटों पर कम हुआ वोटिंग प्रतिशत

उत्तराखंड में पहले चरण में प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ। पिछले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा इस बार मतदान कम हुआ है। प्रदेश में मतदान का आंकड़ा गिरने से राजनीतिक दलों के नेताओं के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। प्रदेश में पिछले 3 लोकसभा चुनाव में लगातार मतदान प्रतिशत में इजाफा हो रहा था। 

राजनीतिक विश्लेषकों को भी इस बार भारी तादात में मतदान की उम्मीद थी। लेकिन इस बार मतदान प्रतिशत आने के बाद यह उम्मीद खत्म हो गई। प्रदेश की पांचों संसदीय सीटों पर इस बार मतदान का आंकड़ा पिछले चुनाव की अपेक्षा कम हुआ है। पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड में 61.67% मतदान हुआ था जो अब घटकर 57.85% पहुंच पाया है। हालांकि यह मतदान का प्रतिशत साल 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव से जाते हैं लेकिन 2014 के मुकाबले कम है। 

राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में ये चौथा लोकसभा चुनाव है और  इसमें पिछली बार की अपेक्षा कुछ कम मतदाता पोलिंग बूथ तक पहुंचे। राज्य गठन के बाद साल 2004 में पहले लोकसभा चुनाव में कुल 48.7% मतदान हुआ था। इसमें भाजपा को 40.98% और कांग्रेस के हिस्से में 38.13% मतदान हुआ सपा का हिस्सा 7.93 और बसपा का 6.77% रहा। इस चुनाव में भाजपा को 3 कांग्रेस को एक और सपा को एक सीट पर जीत मिली थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 53.43% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसमें कांग्रेस को 43.13 और भाजपा को 33.82% मत मिले। 

इस चुनाव में कांग्रेस ने क्लीन स्वीप किया और सभी पांचों सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली। 2014 के लोकसभा चुनाव में तस्वीर पूरी तरह से उलट गई और भाजपा ने क्लीन स्वीप करते हुए प्रदेश की पांचों सीटों पर जीत हासिल की और इस बार मतदान का प्रतिशत 61.67% रहा। भाजपा को 55.30% और कांग्रेस को 34% मत मिले। इस बार मतदान में गिरावट को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं और सभी लोग चिंतन मंथन में जुटे हैं कि आखिर मतदान का प्रतिशत कम क्यों हुआ।