उत्तराखंड में करायी जाएगी आर्टिफिशियल बारिश

उत्तराखंड में हर साल जंगल की आग से लाखों की वन संपदा का नुकसान होता है। इस पर रोक लगाने के लिए तमाम प्रयास भी किए जाते हैं। अब जंगल की आग पर काबू पाने के लिए उत्तराखंड में अरब देशों की तर्ज़ पर आर्टिफिशियल बारिश की तैयारी की जा रही है। इसके लिए अरब देशों के एक्सपर्ट से संपर्क किया जा रहा है। उत्तराखण्ड वन विभाग इसके लिए खाका तैयार कर रहा है। जल्द ही अरब देशों की तरह उत्तराखंड में भी आर्टिफिशियल बारिश देखी जा सकेगी। इस टेक्नोलॉजी को धरातल पर उतारने के लिए कितना खर्च लगेगा उसके बारे में वन विभाग के अधिकारी बातचीत कर रहे हैं। विभाग की ओर से उन देशों के आर्टिफिशियल बारिश के एक्सपर्ट से संपर्क किया जा रहा है जिन देशों में ऐसी परिस्थितियों में आर्टिफिशियल बारिश कराई जाती है। हर साल उत्तराखंड की जल रही वन संपदा को बचाने के लिए वन विभाग इस टेक्नोलॉजी की तैयारी में जुट रहा है।जिसको लेकर धू-धू कर जल रही उत्तराखंड की वन संपदा बचेगी साथ ही सूखे पड़ने जैसी हालातों पर भी काबू पाया जा सकेगा।उत्तराखंड में जंगलों की आग सबसे बड़ी समस्या है। हर साल हजारों हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में खाक हो जाते हैं। साथ ही इसके जंगली जानवर एवं वन संपदा भी पूर्ण रूप से नष्ट हो जाते हैं। लगभग 5 सालों से बदस्तूर उत्तराखंड की वन संपदा जंगल आग की चपेट में खत्म हो गए हैं। जिसको देखते हुए वन विभाग की ओर से इस टेक्नोलॉजी का सहारा लेने की तैयारी की जा रही है। ये टेक्नोलॉजी कितनी कारगर साबित होगी यह फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन ये टेक्नोलॉजी अगर सही साबित होती है तो शायद धू-धू कर जलने वाले हर साल उत्तराखंड की वन संपदा और जंगल बच पाएंगे।वहीं पर्यावरणविद अनिल जोशी का कहना है की प्रकृति के सामने प्राकृतिक संसाधन सटीक नहीं बैठते है। आर्टिफिशियल बारिश की बजाय हम प्रकृति से जुड़ें। हमको ये कोशिश करनी चाहिए कि उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने से पहले हम ऐसी स्थिति रखें ताकि हम बड़ी संख्या में जंगलों के बीच पानी रख पाएं। प्रकृति को बचाने के लिए अन्य ऐसे संसाधन जुटाएं ताकि आग लगने से पहले अन्य कार्य संपन्न हो जाएं। उत्तराखंड के जगलों की आग पर काबू पाने के लिए इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल उत्तराखंड में किया जाएगा तो वनाग्नि और सूखे जैसे हालातों पर रोक लगाने में काफी हद तक कामयाबी मिल सकेगी।