उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी के प्राकृतिक सौंदर्य को बचाने और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए आज़ाद मंच ने उठाई आवाज़

नैनीताल के भवाली से उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी गरमपानी खैरना तक करीब 20 किमी के दायरे में है, खैरना में यह नदी कोसी नदी में जाकर मिल जाती है,अपने उदगम स्थल भवाली में शिप्रा नदी आसपास के बरसाती गधेरों एवं स्रोतों पर निर्भर करती है। शिप्रा नदी आज खतरे में है,क्योंकि लोगो ने नदी के किनारे आरसीसी वॉल लगा दी है, नदियों के विकास के लिए आज से दो साल पहले केंद्रीय जल संसाधन मंत्री द्वारा भारत की हर नदी को प्रदूषण मुक्त करने की पहल की गई थी वही शिप्रा नदी जिला प्रशासन और सिंचाई विभाग की अनदेखी का शिकार होती रही।नैनीताल के भवाली से उद्गम होती एकमात्र उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी के विकास और इसकी नैसर्गिक सुंदरता को बचाने के लिए नैनीताल के आज़ाद मंच ने आवाज़ उठाई है और नैनीताल जिला प्रशासन से मांग की है कि शिप्रा नदी के किनारों पर आरसीसी वॉल को हटाया जाए ये वॉल प्राकृतिक रूप से बिल्कुल भी सही नही है इसकी जगह पत्थर की दीवार लगाई जाए और जगह जगह वायर क्रेट वाले चेक डेम बनाए जाएं ताकि नदी में जल की मात्रा बढ़ती रहे और किनारों से कटाव भी ना हो।
गौरतलब है कि शिप्रा नदी उत्तरवाहिनी नदी है और उत्तरवाहिनी नदियों को शास्त्रों में बेहद पावन और पवित्र माना गया है स्कंद पुराण के मानस खण्ड में भी शिप्रा नदी का उल्लेख मिलता है जिसे मोक्षदायिनी कहा जाता है। शिप्रा नदी के तट पर बाबा नीम करौली महाराज की जयंती और मंदिर के स्थापना वर्ष पर लगने वाले सुप्रसिद्ध मेले में देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी अनुयायियों का रेला हर साल उमड़ता है। जहाँ से शिप्रा नदी का उद्गम होता है वही से इस नदी का प्रदूषण भी शुरू होता है क्योंकि लोग अपने घरों और दुकानों का कूड़ा कचरा और गंदा पानी इस नदी में डालते हैं, जबकि कई जगह शिप्रा नदी के पानी को पेयजल के रूप में प्रयोग करते हैं।आज इस नदी को प्रदूषण मुक्त और इसके प्राकृतिक सौंदर्य को बचाने के नाम पर प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है।