अटल आयुष्मान योजना में सरकार के शपथ पत्र से असंतुष्ट हाईकोर्ट।

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने आयुष्मान अटल योजना में हो रही धांधली के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार द्वारा दिए गए शपथ पत्र से संतुष्ट न होकर एक हप्ते के भीतर कोर्ट ने विस्तृत शपथ पत्र पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त को नियत की गई है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई। सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है, और उन अस्पतालों को अटल आयुष्मान योजना से भी हटा दिया गया है, जिन पर धांधली के आरोप लगे थे। मामले में काशीपुर निवासी मुन्नी देवी विशनोई ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि काशीपुर में बड़ा सरकारी अस्पताल है, परन्तु लोग आयुष्मान योजना का लाभ लेने के लिए काशीपुर से दूर केलखैडा के प्राथमिक अस्पताल से पर्ची बनाकर पंजीकृत प्राइवेट अस्पतालों के लिए रैफर किए जा रहे हैं। इस प्राथमिक अस्पताल द्वारा मई और जून माह में 47 लोगों को रैफर किया गया। रैफर पर्ची में न तो बीमारी का नाम है न ही बीमार के घर का पता,उम्र, पिता का नाम, न ही रेफर करने वाले डॉक्टर का नाम। इस प्राथमिक अस्पताल में पिछले छः माह से डॉक्टर ही नहीं है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि जब  काशीपुर में सरकारी अस्पताल है, तो लोगों को प्राथमिक अस्पताल से रैफर क्यों किया जा रहा है। इससे प्रतीत होता है कि योजना के अधिकारियों व पंजीकृत अस्पतालों की मिलीभगत से ये फर्जीवाड़ा किया जा रहा है इसकी जाँच की जाय।