उत्तराखण्डः हरिद्वार मनसा देवी रोपवे के टेंडर का मामला! नेता प्रतिपक्ष आर्य ने उठाए सवाल, जांच की मांग

Uttarakhand: Haridwar Mansa Devi Ropeway Tender Case! Leader of Opposition Arya raised questions, demanded investigation

देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि हरिद्वार मनसा देवी रोपवे का टेंडर का मामला राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक गंभीर उदाहरण है और भ्रष्ट सिस्टम किस तरीके से लोगों की जान से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहा इसकी बानगी है। उन्होंने कहा कि हरिद्वार नगर निगम ने मनसा देवी रोपवे के संचालन और रखरखाव के लिए एक टेंडर जारी किया था, जिसमें रोपवे के अनुभव वाली कंपनियों को ही शामिल किया गया था। लेकिन बाद में इस टेंडर में बदलाव किया गया। रोपवे संचालित करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है। हरिद्वार नगर निगम ने मार्च में, पात्रता मानदंड को चुपचाप बढ़ा दिया और रोपवे के अनुभव वाली कंपनियों के साथ-साथ रोपवे ऑपरेशन के लिए हॉस्पिटल चलाने वाली, पुल और हाईवे बनाने वाली, यहां तक कि टेलीकॉम सेक्टर की कंपनियों से बोली मंगा ली। श्री आर्य ने कहा कि रोपवे के संचालन के लिए कंपनियों की अनुभवहीनता के कारण सुरक्षा पर सवाल उठने लगे और ये बदलाव नगर आयुक्त नंदन कुमार ने नगर निगम बोर्ड की मंजूरी के बिना किए थे, जिससे प्रक्रियागत खामियों और पारदर्शिता पर सवाल उठे। इसमें जरा सी चूक जा जाए तो लोगों की जान का खतरा हो जाता है। इस टेंडर के बदलाव के खिलाफ उच्च न्यायालय में मामला दायर किया गया। अब उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार नगर निगम द्वारा संशोधित ईओआई पर राज्य सरकार को फटकार लगाई है, जिसमें राजमार्गों, पुलों, मेट्रो, सुरंगों, दूरसंचार और अस्पतालों से जुड़ी कंपनियों को रोपवे परियोजना के लिए बोली लगाने की अनुमति दी गई है। टेंडर फिलहाल रोक दिया है। कोर्ट ने इसे गंभीर विषय मानते हुए इसे मानव जिंदगी से खिलवाड़ करने वाला बताया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रश्न ये है की आखिर 44 साल से रोपवे का संचालन कर रही कंपनी को बाहर करने के लिए सड़क बनाने वाली कंपनियों को टेंडर में क्यों सम्मिलित किया गया। आखिर बिना किसी प्रासंगिक अनुभव वाली कंपनियों को बोली प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति जिससे यात्री सुरक्षा, प्रशासनिक जवाबदेही और प्रक्रियात्मक पारदर्शिता पर गंभीर चिंताएं पैदा हुई इसकी जवाबदेही किसकी है। श्री आर्य ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए अगर भ्रष्टाचार की इस प्रक्रिया को उच्च न्यायालय न रोकता तो भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं की जिम्मेदारी किसकी होती। उन्होंने कहा कि सरकार को इस गंभीर भ्रष्टाचार के विषय की विस्तृत और निष्पक्ष जांच करानी चाहिए।