ये हैं हालातः इंसानों को नहीं मिल पा रहे डॉक्टर और मेडिकल कॉलेज में आवारा कुत्तों के लिए बनाया जा रहा शेल्टर होम! आजतक नहीं मिल पाया प्लास्टिक सर्जन, कई विभागों में महीनों तक गायब रहते हैं डॉक्टर साहब

This is the situation: Humans are not able to find doctors and a shelter home is being built for stray dogs in the medical college! Plastic surgeon has not been found till date, in many departments t

हल्द्वानी। राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी का हॉस्टल इस वक़्त चर्चा का विषय बना हुआ है जहां स्ट्रीट डॉग्स के शेल्टर बनाने को लेकर पशु प्रेमी और कॉलेज प्रशासन के बीच तनातनी चल रही है और इस मामले में भाजपा नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी भी कॉलेज प्रशासन को शेल्टर बनाए के लिए प्रेशर डाल रही है। 

मामले के अनुसार गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के गर्ल्स हॉस्टल में स्ट्रीट डॉग्स को लेकर एक शेल्टर होम बनाया जा रहा है जिस पर फिलहाल रोक लगी हुई है। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में फर्माकोलॉजी विभाग की  प्रोफेसर डॉ. रीना भारद्वाज ने स्ट्रीट डॉग्स को आवास और भोजन उपलब्ध करवाने के लिए गर्ल्स हॉस्टल में बिना कॉलेज प्रशासन की अनुमति के शेल्टर होम बनाने की शुरुआत की, जिस पर हॉस्टल वार्डन डॉ. आर जी नौटियाल और प्रिंसिपल डॉ. अरुण जोशी ने शेल्टर होम पर ऑबजेक्शन करते हुए रोक लगा दी। जिसके बाद डॉ. रीना अन्य पशु प्रेमियों के साथ मिलकर कॉलेज प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करने लगी और तमाम बड़े बीजेपी नेताओं से शेल्टर होम बनवाने को लेकर कॉलेज प्रशासन पर प्रेशर डलवाने लगी। इसी कड़ी में भाजपा नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी बिना नियम कानून जाने कॉलेज प्रशासन पर शेल्टर होम का काम पूरा करने को लेकर हॉस्टल प्रशासन को धमकाने लगी।

हॉस्टल में स्ट्रीट डॉग्स के शेल्टर को लेकर जब प्रिंसिपल डॉ. अरुण जोशी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कॉलेज के हॉस्टल में स्ट्रीट डॉग्स के शेल्टर होम बनाने को लेकर कोई नियम नहीं है और अगर हॉस्टल में स्ट्रीट डॉग्स के लिए शेल्टर बनवाया जाएगा, तो इससे स्टूडेंट्स की पढ़ाई प्रभावित होगी। साथ ही डॉग बाइट का खतरा हमेशा बना रहेगा और हमें अतिरिक्त स्टाफ भी रखना होगा।

स्ट्रीट डॉग्स को लेकर कानून में उनके जीने के सभी अधिकार सुरक्षित है लेकिन उनके द्वारा हो रहे नुकसान को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता। उत्तराखंड छोड़िए अगर हम केवल नैनीताल जिले की बात करें तो लगातार आवारा कुत्तों के आतंक की खबरों से समाचार पत्र भरे रहते हैं। नैनीताल जिले में पिछले वर्ष 1000 से ज्यादा डॉग्स बाइट के मामले सामने आए थे। मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के पास ही कुछ दिन पहले नर्सिग अधिकारी की बेटी को स्ट्रीट डॉग्स ने नौ जगह काटकर घायल कर दिया था और हॉस्टल के आसपास भी कई स्टाफ को स्ट्रीट डॉग्स अपना शिकार बना चुके हैं। मेडिकल कॉलेज के आस पास स्ट्रीट डॉग्स काफी संख्या में रहते है जिससे स्टूडेंट्स पर हमेशा खतरा बना रहता है। ऐसे में पशु प्रेमियों का नियमों के विरूद्ध मेडिकल कॉलेज प्रशासन को हॉस्टल परिसर के अंदर शेल्टर होम बनाने के लिए दबाव डालना उनकी मंशा पर सवालिया निशान लगाता है। क्योंकि स्ट्रीट डॉग्स के शेल्टर को लेकर हल्द्वानी में जगह की कोई कमी नहीं है, लेकिन डॉ. रीना भारद्वाज को स्ट्रीट डॉग्स का शेल्टर हॉस्टल के परिसर में ही चाहिए, ताकि वो आसानी से पशु सेवा कर सके और शॉर्ट रील्स बनाकर सोशल मीडिया में हिट हो सके।


 

आजतक नहीं मिला प्लास्टिक सर्जन, तो क्या बजट के अभाव में खाली है पद?
यूं तो उत्तराखण्ड की स्वास्थ्य सुविधाएं किसी से छिपी नही हैं। आए दिन तमाम ऐसे गंभीर मामले सामने आते रहते हैं, जो स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोलकर रख देते हैं। एक तरफ प्रदेश की धामी सरकार और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के दावे करते हैं, वहीं दूसरी तरफ राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में प्लास्टिक सर्जन के साथ ही कई डॉक्टरों के पद आज भी खाली हैं, जिसका खामियाजा प्रदेश के आमजन को भुगतना पड़ता है। खबरों के मुताबिक प्लास्टिक सर्जन का सैलरी पैकेज भारी-भरकम होने के चलते यह पद लगातार खाली चल रहा है। बताया जाता है कि कई बार विज्ञप्ति निकालने के बावजूद भी इस पद को नहीं भरा जा सका। वहीं यही हाल अन्य विभागों में भी देखने को मिलता है। 

महीनों तक गायब रहते हैं डॉक्टर, फिर भी समय पर मिलता है वेतन
इसे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही कहें या फिर डॉक्टरों की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली। जो भी हो, सूत्रों की मानें तो स्वास्थ्य महकमे में तैनात कई डॉक्टर आज भी महीनों तक अस्पतालों से गायब रहते हैं, लेकिन उन्हें वेतनमान बराबर मिलता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग पर कई सवाल खड़े होते हैं। एक तरफ प्रदेश की जनता बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए इधर-उधर भटक रही है, वहीं दूसरी तरफ डॉक्टरों का यह गैर जिम्मेदाराना व्यवहार, कहीं न कहीं अपने आप में एक बड़ी लापरवाही है। 

भालू के हमले में शख्स जख्मी, तो क्या पशु प्रेमियों को नहीं दिखते ये मामले?
एक तरफ हल्द्वानी के राजकीय मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में स्ट्रीट डॉग्स के लिए शेल्टर होम बनाने को लेकर खासा विवाद छिड़ा है, वहीं दूसरी तरफ लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जो स्वास्थ्य सुविधाओं पर सीधे-सीधे सवाल उठाते हैं। ताजा मामला ऊधम सिंह नगर जिले के खटीमा से जुड़ा है, यहां देर शाम एक व्यक्ति पर भालू ने हमला कर उसे बुरी तरह जख्मी कर दिया, जिससे आनन-फानन हल्द्वानी ले जाया गया, लेकिन बेहतर सुविधाएं न होने के चलते उक्त शख्स को बरेली रैफर कर दिया गया। ऐसे में सवाल ये उठता है कि स्ट्रीट डॉग्स के लिए आवास और भोजन की सुविधा उपलब्ध कराने वाले पशु प्रेमियों को क्या वो मामले नहीं दिखते, जिसमें आए दिन जंगली जानवरों या कुत्तों द्वारा इंसानों पर हमले किए जाते हैं। सवाल ये भी उठता है कि क्या ये पशु प्रेमी कभी उन लोगों के लिए भी आवाज उठाते हैं, जो पशुओं के हमलों में घायल होते हैं।