NH-74 घोटालाः नहीं बचा पाई एनएच-74 घोटाले के मुख्य आरोपी को धामी सरकार! जज ने कैंसिल किया डीएम का प्रार्थनापत्र

भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखण्ड के बड़े-बड़े दावे और समय-समय पर दो हजार, पांच हजार रूपए की रिश्वत के मामलों में सरकारी अफसरों को सलाखों के पीछे भेजने वाली धामी सरकार का चेहरा उस समय बेनकाब हो जाता है, जब बात उत्तराखंड के महा घोटाले एनएच 74 की आती है। जी हां हम बात कर रहे है एनएच 74 महा घोटाले की। जो कि उत्तराखंड में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है और खास बात ये कि जिन अधिकारियों के नाम इस माह घोटाले में आए थे उनको धामी सरकार पहले ही क्लीन चिट दे चुकी है और अब पूरे घोटाले के मुख्य आरोपी पीसीएस अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह को क्लीन चिट देकर केस को निरस्त करने के लिए खुद ही स्पेशल कोर्ट में अर्जी भी लगा चुकी है।
हल्द्वानी में एनएच-74 घोटाले की सुनवाई के दौरान भ्रस्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत बनाई गई विशेष अदालत की न्यायाधीश नीलम रात्रा ने आरोपी पीसीएस ऑफिसर दिनेश प्रताप सिंह को सरकार की ओर से मिली क्लीन चिट को निरस्त कर दिया है। साथ ही कहा कि आरोपी डीपी सिंह को क्लीन चिट देने में शासन के लोगों की मिलीभगत उजागर हो रही है। जिला मजिस्ट्रेट उधम सिंह नगर ने आरोपी पीसीएस ऑफिसर डीपी सिंह के खिलाफ आपराधिक मामले को वापस लेने और न्यायालय में उनके खिलाफ कार्यवाही को समाप्त करने का आवेदन किया था जिस पर न्यायाधीश नीलम रात्रा ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपी के पक्ष में दिए गए प्रार्थना पत्र से साबित होता है कि आरोपी डीपी सिंह को बचाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट उसकी पैरवी कर रहे हैं और शासन-प्रशासन मनमाने ढंग से आदेश पारित कर रहा है। बहरहाल न्यायाधीश नीलम रात्रा ने जिला मजिस्ट्रेट उधम सिंह नगर के द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र 272 ख को निरस्त कर दिया है और मुख्य आरोपी डीपी सिंह और अन्य सभी आरोपियों पर विधि अनुसार मुकदमा चलाने के लिए आदेश कर दिया है।
मार्च 2017 में एनएच 74 महाघोटाला सामने आया था जिसमें अधिकारियों और किसानों की मिलीभगत से बैक डेट में जाकर कृषि भूमि को 143 अकृषिक करवाया गया और 500 करोड़ से ज्यादा मुआवजा देकर सरकार को भारी नुकसान पहुंचाया गया। घोटाला सामने आने पर पहले सीबीआई जांच की मांग उठने लगी, लेकिन त्रिवेंद्र सरकार ने घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया।
एसआईटी की जांच में दो आईएएस अफसरों के अलावा पांच पीसीएस अधिकारियों को निलंबित किया गया था। इसके अलावा 30 से अधिक अधिकारी दलाल और किसानों को जेल जाना पड़ा था। फिलहाल पीसीएस ऑफिसर डीपी सिंह के अलावा सभी अधिकारियों को धामी सरकार क्लीन चिट दे चुकी है और विभागों में पोस्टिंग भी दे चुकी है। ऐसे में सवाल उठता है कि धामी सरकार जहां एक तरफ भ्रष्टाचार पर वार करने का दंभ भरती हुई दिखाई पड़ती है तो वहीं दूसरी तरफ करोड़ों के घोटाले में शामिल आरोपियों के खिलाफ केस वापस लेने में क्यों लगी हई है।