आस्था का अर्थशास्त्र! देश की अर्थव्यवस्था में मंदिरों का क्या है योगदान? जानें क्या कहती है रिपोर्ट

Economics of faith! What is the contribution of temples in the country's economy? Know what the report says

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के ‘पुजारी-ग्रंथ सम्मान योजना’ को लेकर इन दिनों देशभर में एक नई बहस छिड़ी हुई है। हांलाकि इसको लेकर सियासत भी गरमाई हुई है और तमाम दलों से जुड़े लोग केजरीवाल को घेरने में जुटे हुए हैं। लेकिन इस बीच छिड़ी बहस के बाद एक सवाल यह भी उठ रहा है कि देश की जीडीपी में मंदिर अर्थव्यवस्था का कितना योगदान है। एक सर्वे के मुताबिक भारत की जीडीपी में धार्मिक यात्राओं का योगदान 2.32 फीसदी है और मंदिर की इकोनॉमी करीब 3.02 लाख करोड़ की है, जिसमें फूलों की बिक्री से लेकर पूजा पाठ से जुड़े दूसरे सामान आते हैं। आंकड़ों के मुताबिक 55 फीसदी हिंदू धार्मिक यात्राएं करते हैं और भारत में सबसे ज्यादा सैलानी तीर्थस्थलों पर ही जाते हैं। 
यूं तो मंदिर और दूसरे तीर्थस्थल भारतीयों की आस्था से जुड़े होते हैं, जिसमें लोग खर्च भी दिल खोलकर करते हैं। मंदिर का यही अर्थविज्ञान विकास को भी रफ्तार देता है। आंकड़े बताते हैं कि भारत की जीडीपी में मंदिर की इकोनॉमी की हिस्सेदारी 2 फीसदी से ज्यादा है और इसकी वजह है कि भारतीयों का धर्म और आस्था से जुड़े मामलों में दिल खोल कर खर्च करना।
एनएसएसओ के डेटा के मुताबिक भारत में धार्मिक यात्रा पर खर्च 1316 करोड़ रुपए प्रतिदिन होता है। वहीं धार्मिक यात्रा पर सालाना खर्च 4.74 लाख करोड़ रुपए है। आंकड़ा बताता है कि भारतीय बिजनेस यात्रा से ज्यादा तीर्थांटन करते हैं और शिक्षा हेतु की जाने वाली यात्रा से ज्यादा खर्च तीर्थ यात्रा पर करते हैं।