उत्तराखंड में भू-कानून को लेकर धामी सरकार सख्त,नए कानून का जल्द हो सकता है ऐलान

उत्तराखंड में भू कानून का दुरुपयोग करने वालों की अब खैर नहीं सरकार नए भू कानून में नए प्रावधान ला रही है। वर्तमान कानून में संशोधन कर विधेयक को अंतिम रूप दिया जा रहा है 18 फरवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र में इसे कैबिनेट की मंजूरी के साथ सदन में पेश किया। जाएगा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद इस पर अपनी नजर बनाए हुए हैं प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा प्रदेश की धामी सरकार द्वारा जनता के हित के लिए कई कड़े फैसले लिए गए हैं। इसी तरह से प्रदेश में जल्द ही सख्त भू कानून लागू किया जाएगा जिससे उत्तराखंड की जमीनों को खुर्द बुर्द करने वाले लोगों पर शिकंजा कस सकेगा।
उत्तराखंड में लंबे समय से सख्त भू-कानून की मांग की जा रही है,खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में बाहरी लोगों द्वारा जमीन खरीदने और अतिक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए। बजट सत्र में इसे लाने को लेकर अभी तक संशय बना हुआ था,लेकिन अब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने स्पष्ट किया है कि सरकार इस बार जनभावनाओं के अनुरूप कड़ा भू-कानून लेकर आएगी। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही कड़े भू-कानून को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर चुके हैं। इस दिशा में सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं, और आगामी बजट सत्र में इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने भू-कानून लागू करने से पहले पूर्व में हुए कानून उल्लंघन के मामलों की जिलाधिकारी स्तर पर जांच पूरी कर ली है. जांच में जिन जमीनों का दुरुपयोग या अवैध रूप से हस्तांतरण हुआ है, वे राज्य सरकार में निहित की जाएंगी। भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखने के लिए बीजेपी पूरी तरह सचेत है। राज्य में डेमोग्राफिक बदलाव (जनसंख्या संरचना में बदलाव) न हो, इसके लिए भू-कानून बेहद जरूरी है. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने इस मुद्दे को कभी गंभीरता से नहीं लिया और जब सत्ता में थी तब राज्य की सांस्कृतिक पहचान और डेमोग्राफी पर कोई ध्यान नहीं दिया।
उत्तराखंड में सख्त भू-कानून की मांग पिछले कई वर्षों से चल रही है, लेकिन हाल के दिनों में यह ज्वलंत मुद्दा बन गया है। राज्य में बाहरी लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन खरीदने और जनसंख्या असंतुलन की आशंका को देखते हुए स्थानीय लोग सख्त भू-कानून लागू करने की मांग कर रहे हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में बाहरी निवेशकों और उद्योगपतियों द्वारा जमीन खरीदी जा रही है,जिससे स्थानीय लोगों के लिए जमीन की उपलब्धता कम होती जा रही है. कुछ क्षेत्रों में बाहरी लोगों की बसावट बढ़ने से स्थानीय संस्कृति और जनसंख्या संतुलन पर प्रभाव पड़ रहा है। बाहरी निवेशकों के कारण जमीन के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे स्थानीय लोग अपनी ही भूमि पर घर बनाने में असमर्थ हो रहे हैं। कई जगहों पर अवैध तरीके से भूमि हस्तांतरण और कब्जे की घटनाएं सामने आई हैं, जिन्हें रोकने के लिए सख्त भू-कानून की जरूरत महसूस की जा रही है।