उत्तराखंड के नए भू-कानून को चुनौती! हाईकोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस,मांगा जवाब

Challenge to Uttarakhand's new land law! High Court issues notice to government, seeks reply

उत्तराखंड सरकार के नए भू-कानून के कई प्रावधानों, उसके नियमों और उपनियमों को नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई थी,जिस पर आज 17 अप्रैल को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक कुमार मेहरा की खंडपीठ ने प्रशासन के उस नोटिस पर रोक लगा दी है,जो याचिकाकर्ताओं को जारी किया गया था। साथ ही खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 6 सप्ताह बाद की तिथि नियत की है। 

मामले के अनुसार देहरादून निवासी क्षितिज शर्मा व उनके परिवार के चार अन्य लोगों ने उत्तराखंड की धामी सरकार के नए भू-कानून को चुनौती दी थी।  याचिका में कहा गया कि वे उत्तराखंड के मूल निवासी है। रोजी रोटी कमाने के लिए अन्य राज्य में कार्य कर रहे है। कार्य मे प्रगति होने पर उन्होंने उत्तराखंड में भूमि क्रय की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि अब सरकार उन्हें उत्तराखंडी नहीं मान रही है और उन पर अनावश्यक रूप से लेंड रेवेन्यू एक्ट के तहत कई प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं,जबकि वे उत्तराखंड के मूल निवासी है और रोजी रोटी के कमाने के लिए प्रदेश से बाहर गए है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस तरह के प्रतिबंध स्थानीय लोगों पर लगाया जाना संविधान के विरुद्ध है। अब सरकार उत्तराखंड ने उनके द्वारा खरीदी गई जमीन की सेल डीड को भी अवैध बताते हुए उन्हें नोटिस जारी किए है, जो की गलत है। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 2003 में नियमों में बदलाव कर प्रदेश में भूमि की खरीद फरोख्त को रोकने की मंशा से भू-कानून लागू किया गया है,जबकि राज्य सरकार द्वारा भू-कानून के नियमों में काश्तकारों के हितों की रक्षा के लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया है, जो कि असंवैधानिक है।