Big Breaking: रामलला का पहला सूर्य तिलक! अयोध्या में दिखा अद्भुत नजारा, जानें तीसरी मंजिल से गर्भगृह तक कैसे पहुंची सूरज की रोशनी?

Big Breaking: Ramlala's first Surya Tilak! Amazing view seen in Ayodhya, know how sunlight reached the sanctum sanctorum from the third floor?

नई दिल्ली। रामनवमी उत्सव के मौके पर आज अयोध्या में अद्भुत नजारा देखने को मिला। यहां आज उस समय जय श्री राम के जयकारे गूंज उठे, जब रामलला का सूर्य तिलक हुआ। प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला का यह पहला सूर्य तिलक है। दोपहर 12 बजे अभिजीत मुहूर्त में रामलला का 3 मिनट तक सूर्य तिलक किया गया। सूर्य तिलक के लिए एक खास तरह की टेक्निक का इस्तेमाल किया गया। रामनवमी के दिन दोपहर के समय सूर्य की किरणें रामलला के मस्तिष्क पर पड़ीं और शीशे और लेंस से जुड़े एक तंत्र की वजह से रामलला का सूर्यतिक संभव हो सका। सीएसआईआर-सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिक डॉ.एस के पाणिग्रही ने कहा कि सूर्य तिलक का मूल उद्देश्य रामनवमी के दिन केवल राम की मूर्ति को तिलक लगाना है। उन्होंने कहा कि एक प्रक्रिया के जरिये उनके मस्तिष्क तक सूर्य की रोशनी लाई गई। उन्होंने यह भी कहा कि हर साल रामनवमी के दिन आकाश पर सूरज की स्थिति बदलती है।

सूर्यतिलक की प्रक्रिया
सूर्य की किरण मंदिर के तीसरे तल पर लगे पहले शीशे पर पड़ी। यहां से किरण पलटकर पीतल की पाइप में गई। पीतल के पाइप में लगे दूसरे शीशे से टकराकर 90 डिग्री पर दोबारा परावर्तित हो गई। इसके बाद फिर पीतल की पाइप से जाते हुए यह रोशनी तीन अलग-अलग लेंस से होकर गुजरी और फिर लंबे पाइप के गर्भ गृह वाले सिरे पर लगे शीशे से ये रोशनी टकराई। गर्भगृह में लगे शीशे से टकराने के बाद रोशनी ने सीधे रामलला के मस्तिष्क पर 75 मिलीमीटर का गोलाकार तिलक लगाया।