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दीपावली के बाद नैनीताल में वायु प्रदूषण में हुई 10 गुना वृद्धि!आतिशबाजी के बाद हवा बनी जहरीली

Air pollution in Nainital increased 10-fold after Diwali! The air became toxic after fireworks.

नैनीताल! जो  सरोवर नगरी के नाम से विश्व भर में प्रसिद्ध है,साथ ही यहां की ताज़ा आबोहवा और स्वच्छ नगरी भी कहलाती है, इस बार दीपावली के दौरान आतिशबाजी के कारण यहां की वायु प्रदूषण में 10 गुना वृद्धि देखी गई। यह स्थिति न केवल नैनीताल और कुमाऊं क्षेत्र के लिए चिंताजनक है।

एरीज (Aryabhatta Research Institute of Observational Sciences) के वैज्ञानिकों के अनुसार, दीपावली के दौरान नैनीताल और आसपास के क्षेत्रों में आतिशबाजी के कारण वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि दर्ज की गई। दीपावली के बाद 21 अक्टूबर की रात को नैनीताल में PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर 2.5) का स्तर 2 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जो सामान्य माना जाता है। लेकिन अगले दिन, 22 अक्टूबर को, यह स्तर 10 गुना बढ़कर 11 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया। 

 

एरीज के निदेशक डॉ. मनीष नाजा ने बताया कि आतिशबाजी से निकलने वाला धुआं हवा में जहरीले कणों को मिलाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। PM 2.5 जैसे सूक्ष्म कण श्वसन तंत्र में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं और फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

इन कणों के कारण अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, और यहां तक कि फेफड़ों के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। हालांकि, नैनीताल में प्रदूषण का स्तर अभी भी खतरे के निशान से नीचे है, लेकिन यह स्थिति चिंता का विषय है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए।

कुमाऊं क्षेत्र में दो दिन की दीपावली का प्रभाव

कुमाऊं क्षेत्र में दीपावली का त्योहार दो दिनों तक धूमधाम से मनाया गया। 20 अक्टूबर को दीपावली के बाद 21 अक्टूबर को हवा की गुणवत्ता पर ज्यादा असर नहीं दिखा।

 

लेकिन 21 अक्टूबर की रात को आतिशबाजी के बाद 22 अक्टूबर को हवा में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा। वैज्ञानिकों ने लगातार निगरानी के दौरान पाया कि आतिशबाजी से निकलने वाले धुएं ने हवा को जहरीला बना दिया। इस दौरान PM 2.5 के स्तर में 10 गुना वृद्धि एक गंभीर संकेत है कि आतिशबाजी का अंधाधुंध उपयोग पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रहा है।

भारत के अन्य हिस्सों में प्रदूषण की स्थिति

भारत के अन्य शहरों में भी दीपावली के दौरान वायु प्रदूषण में वृद्धि देखी गई। दिल्ली, जो पहले से ही वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रही है, में दीपावली के दौरान स्थिति और भी बदतर हो गई। 22 अक्टूबर को दिल्ली में PM 2.5 का स्तर 1000 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक दर्ज किया गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुसार अत्यंत खतरनाक है। WHO के अनुसार, PM 2.5 का सुरक्षित स्तर 25 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से कम होना चाहिए। दिल्ली में यह स्तर 40 गुना अधिक होने से स्वास्थ्य जोखिम कई गुना बढ़ गए हैं। 

दिल्ली में प्रदूषण का यह स्तर न केवल आतिशबाजी, बल्कि वाहनों के धुएं, औद्योगिक उत्सर्जन, और पराली जलाने जैसे अन्य कारकों का भी परिणाम है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली की हवा में मौजूद PM 2.5 कण फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं, जिससे हृदय रोग, स्ट्रोक, और श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों और बुजुर्गों में यह जोखिम और भी अधिक है।

वही उत्तर भारत के शहरों जैसे लखनऊ, कानपुर, और पटना में PM 2.5 का स्तर 500-800 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया, जो दिल्ली जितना तो नहीं, लेकिन फिर भी खतरनाक है। दक्षिण भारत के शहरों जैसे बेंगलुरु और चेन्नई में भी आतिशबाजी के कारण प्रदूषण में वृद्धि देखी गई, हालांकि वहां का स्तर दिल्ली और उत्तर भारत के शहरों की तुलना में कम रहा। पश्चिमी भारत में मुंबई और पुणे जैसे शहरों में भी PM 2.5 का स्तर 200-400 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के बीच दर्ज किया गया। 


PM 2.5 जैसे सूक्ष्म कण हवा में मौजूद होते हैं और इन्हें सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करना आसान होता है। ये कण फेफड़ों और रक्तप्रवाह में पहुंचकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। इनके कारण होने वाली प्रमुख बीमारियां हैं-अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), ब्रॉन्काइटिस, उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, और स्ट्रोक इत्यादि। लंबे समय तक PM 2.5 के संपर्क में रहने से फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है,साथ ही आंखों में जलन, गले में खराश, और त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।