भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत का उत्सव! नेलांग घाटी से भारतीय सेना का ‘सूर्य देवभूमि चैलेंज’ शुरू

उत्तरकाशी 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित नेलांग घाटी से भारतीय सेना का सूर्य देवभूमि चैलेंज एक अभूतपूर्व अल्ट्रा-एंड्योरेंस इवेंट का तीन दिवसीय साइक्लिंग को नेलांग बेली से कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल डी जी मिश्रा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस तीन दिवसीय ‘सूर्य देवभूमि चैलेंज’ के एक साहसिक आयोजन साइक्लिंग और दौड़ में लगभग 110, किलोमीटर की हिमालय क्षेत्रों की अति दूर्गम रास्ते से होकर रन शामिल हैं। इस में सेना और आम नागरिक सहित 140 लोग शामिल हैं। नेलांग बेली से कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल डी जी मिश्रा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना करते हुए कहा कि ‘सूर्य देवभूमि चैलेंज’ एक अभूतपूर्व अल्ट्रा-एंड्योरेंस इवेंट है जो नेलांग घाटी से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी तय कर ऊंचाई वाली जगह से साइकिलिंग के दौड़ के साथ खड़ी ढलान, अप्रत्याशित मौसम और चुनौतीपूर्ण पहाड़ी इलाके नेलांग से गंगोत्री धाम होकर भटवाड़ी पहुंचेंगी। नेलांग बेली से कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल डी जी मिश्रा ने बताया कि दूसरे दिन 19 अप्रैल को सुबह भटवाड़ी से पर्वतीय पैदल हिमालयी रास्तों और खड़ी चढ़ाई पर 37 किलोमीटर की रनिंग बुड्ढे केदार तक होगी। वहीं तीसरे दिन गुतू तथा अगले दिन सोन प्रयाग के लिए रवाना होगी। इस दौरान सेफटी के लिए एम्बुलेंस और ड्रोन से भी निगरानी रखी जायेगी। कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल डी जी मिश्रा ने बताया कि ‘सूर्य देवभूमि चैलेंज’ एक अभूतपूर्व अल्ट्रा-एंड्योरेंस इवेंट जो हिमालय की विशालता के साथ मानवीय साहस को भी जोड़ता है। अपनी ही तरह की यह पहली पेशकस दो अदम्य ताकतों को एक साथ लाती है। जो भारतीय सेना का अटूट साहस और भारत के अपराजेय साहसी लोगों की अथक भावना है। उत्तराखंड के इन ऊंचाई वाले, ऊबड़-खाबड़ इलाके में आयोजित ‘सूर्य देवभूमि चैलेंज’ को मानवीय सहनशक्ति, मानसिक साहस और भावनात्मक शक्ति को उनके पूर्ण शिखर तक ले जाने के लिए तैयार किया गया है। हिमालय की नाटकीय और विस्मयकारी पृष्ठभूमि के साथ यह केवल एक एथलेटिक इवेंट नहीं है, बल्कि यह दृढ़ता, सहनशीलता और जीत हासिल करने के विश्वास कि यात्रा है। सूर्य देवभूमि चैलेंज का प्रत्येक दिन शारिरिक सीमाओं को तोड़ने और अपने अदम्य साहस को प्रदर्शित करने का एक अभुतपूर्व प्रयास है जिसे कि अथक परिश्रम के साथ तैयार किया गया है।
बता दें कि यह भारत में आयोजित अब तक के सबसे कठिन प्रतियोगिता में से एक है, जिसमे शारीरिक कठोरता से परे एक गहरा उद्देश्य छिपा है। यह वह आयोजन है जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत का उत्सव है। साथ ही हमारे सशस्त्र बलों की वीरता और भारतीय लोगों के अथक परिश्रम का प्रतीक है। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह चुनौती केवल सेना तक ही सीमित नहीं है। ‘सूर्य देव भूमि चैलेंज’ में नागरिकों की भागीदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जिसमे देश भर के एथलीट, साहसी युवाओं को सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रतिस्पर्धा करने के लिए आमंत्रित किया गया है, जो एकता, दृढ़ संकल्प और सहयोग की शक्तिशाली भावना का प्रतीक है।
सूर्य देवभूमि के निर्देशक ने राहुल ने बताया कि आज सुबह 9 बजे नेलांग 11 हजार फीट की ऊंचाई से साइकिलिंग प्रतियोगिता प्रारंभ हो गई है। सूर्य देवभूमि चैलेंज का इवेंट पहली बार किया जा रहा है। भारतीय सेना और उत्तराखंड पर्यटन के सौजन्य से किया जा रहा है। ये अपने आप में एक विश्व में अनूठा चैलेंज है, जिसको भारतीय सेना करवा रही है। यह चैलेंज तीन दिन का है, पहले दिन साइकिलिंग प्रतियोगिता और दूसरे दिन पैदल रन भटवाड़ी से बुढा केदार तक जायेगा। जो पौराणिक चारधाम यात्रा मार्ग को पुनः जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है। तीसरे दिन गुटु से लेकर सोनप्रयाग तक चलेगा 41 किलोमीटर ट्रेन और रोड रन मिक्स किया गया है। प्रतियोगिता में 15 लाख तक पुरस्कार दिए जाएंगे।