19 साल का सफर- विकास या छलावा

सियासी दांव.पेंच की नूरा कुश्ती को झेलता उत्तराखंड अब 19 साल का हो गया है। शायद ही देश का कोई ऐसा राज्य हो जिसने इतने कम समय मे इतने सियासी भूचालों को महसूस किया हो। इस बात को इतने से ही समझा जा सकता है कि 19 साल का राज्य अबतक 09 बार मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ देख चुका है।पृथक राज्य की लंबी लड़ाई के दौरान कई शहादतों के बाद उत्तराखंड 27वें राज्य के रूप में स्थापित तो हो गया लेकिन सत्ता के भूखे राजनेताओं ने नए राज्य की परिकल्पनाओं को कभी पनपने ही नही दिया। यूँ तो अलग राज्य का मकसद पहाड़ी जिलों के विकास और यहां तक मूलभूत जरूरतों को पहुंचाकर पलायन रोकना था लेकिन सत्ता के चरम पर पहुंचने की लालसा ने इन सपनों को पीछे छोड़ दिया। और इसी से पनपी राजनीतिक अस्थिरताकहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता के हालात भी स्थापना के शुरुवाती चरणों मे ही दिखने लगे थे राज्य स्थापना के दौरान नित्यानंद स्वामी की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी के साथ ही भाजपा में भगत सिंह कोशियारी खेमे का दबाव सत्ता में कंपन का अहसास कराने लगा था फिर क्या था भाजपा हाईकमान ने घुटने टेककर भगत सिंह कोशियारी को सत्ता की चाबी सौंप दी। नए राज्य की जनता दो सालों में ही दो मुख्यमंत्री देख चुकी थी लेकिन लोगों को ये जरा भी अंदाजा नही था कि उत्तराखंड की ये राजनीतिक शुरुवात उसकी भविष्य की परिणीति बन जायेगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों का सफर-
नित्यानंद स्वामी उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री थे। राज्य का गठन होने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने यूपी विधान परिषद के तत्कालीन सदस्य नित्यानंद स्वामी को नए राज्य मुख्यमन्त्री का पदभार संभालने के लिए कहा। हालांकि स्वामी ज्यादा दिनों तक मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं बचा पाए। पार्टी के कहने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। स्वामी का कार्यकाल 9 नवम्बर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक चला।.
भाजपा ने नित्यानंद स्वामी से इस्तीफा लेने के बाद राज्य में कैबिनेट मंत्री भगत सिंह कोश्यारी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया। साल 2002 में राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव कराए गए। चुनाव में भाजपा की हार के चलते कोश्यारी को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। कोश्यारी 30 अक्टूबर 2001 से 1 मार्च 2002 तक राज्य की सीएम रहे।.
साल 2002 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बंपर जीत मिली। कांग्रेस के कद्दावर नेता और उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके एनडी तिवारी राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री बने। एनडी तिवारी राज्य के पहले और आखिरी नेता है जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। हालांकि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के कारण उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। वो 24 मार्च 2002 से 7 मार्च 2007 तक मुख्यमंत्री रहे।.
साल 2007 में राज्य विधानसभा के दूसरे चुनाव हुए जिसमें भाजपा को जीत मिली। पार्टी ने कड़क मिजाज के लिए जाने वाले मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी राज्य का मुख्यमंत्री बनाया। खंडूरी 8 मार्च 2007 को राज्य के चौथे मुख्यमंत्री बने। लेकिन भाजपा विधायकों के विरोध के चलते खंडूरी ने 23 जून 2009 को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया।.
2009 में रमेश पोखरियाल निशंक राज्य के नए मुख्यमंत्री बने। लेकिन उन पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों से पार्टी की लगातार गिरती साख के कारण भाजपा ने चुनाव से ठीक छह महीने पहले दोबारा खंडूरी पर दांव लगाया और उन्हें सीएम बनाया। हालांकि खंडूरी भाजपा को 2012 के विधानसभा चुनाव में जीत नहीं दिला पाए। चुनाव में भाजपा और खंडूरी दोनों की हार हुई।.
साल 2012 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद स्वतंत्रता सेनानी और मशहूर नेता हेमवती नंदन बहुगुणा के बेटे विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बने। लेकिनए 2014 में उत्तराखंड में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद राहत और पुनर्वास कार्यों को लेकर बहुगुणा की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठने लगे। जिस कारण कांग्रेस को बहुगुणा को मुख्यमंत्री पद से हटाना पड़ा।
बहुगुणा को हटाकर कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री हरीश रावत को मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन रावत के लिए भी मुख्यमंत्री का सफर आसान नहीं था। सत्ताधारी दल कांग्रेस के 9 विधायकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया। केंद्र सरकार ने कैबिनेट की आपात मीटिंग बुलाकर यहां राष्ट्रापति शासन लगा दिया। बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुए फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस विजयी हुई और फिर 11 मई को केंद्र ने राज्य से राष्ट्रपति शासन हटा लिया
उधर 2017 में विधानसभा चुनाव हुए तो भाजपा ने राज्य के इतिहास में पहली बार 57 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनाई।