"कॉन्सर्ट फ़ॉर हारमनी"में तालियों से गूंजा लौंग व्यू पब्लिक स्कूल का हॉल।

भारतीय संगीत का अभिन्न अंग है भारतीय शास्त्रीय संगीत। आज से लगभग तीन हज़ार वर्ष पूर्व रचे गए वेदों को संगीत का मूल स्रोत माना जाता है। ऐसा मानना है कि ब्रह्मा जी ने नारद मुनि को संगीत वरदान में दिया था। चारों वेदों में, सामवेद के मंत्रों का उच्चारण उस समय के वैदिक सप्तक या समगान के अनुसार सातों स्वरों के प्रयोग के साथ किया जाता था।आज भी देश के कई हिस्सों में शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है ताकि देश मे शास्त्रीय संगीत का महत्व कम न होने पाए, इसी कड़ी में देश के विभिन्न शहरों में प्रसिद्ध नाद फाउंडेशन द्वारा नैनीताल के लांग व्यू पब्लिक स्कूल में कॉन्सर्ट फ़ॉर हारमनी कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें देश के प्रतिष्ठित कलाकारों ने शास्त्रीय संगीत की अद्भुत जुगलबंदी पेश की।कार्यक्रम का शुभारंभ पारोमिता और दुर्जय भौमिक ने हारमोनियम और तबले की संगत के साथ किया,शुभारंभ होते ही पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।


इस संगत के पूरा होने के बाद नैनीताल के युवा शास्त्रीय गायक गौरव बिष्ट ने अपनी प्रस्तुति दी ,गौरव ने राग श्री कल्याण प्रस्तुत किया जिसे सुनकर हॉल में बैठे लोग मंत्र मुग्ध हो गए,देर तक चले इस कार्यक्रम में श्रोतागण कई बार भाव विभोर भी हो गए थे,नाद फाउंडेशन के द्वारा इस कार्यक्रम को आयोजित करवाने में लौंग व्यू पब्लिक स्कूल की महत्वपूर्ण भूमिका रही,कार्यक्रम में स्कूल के प्रधानाचार्य भुवन चंद्र त्रिपाठी, सहित कई अन्य लोग भी शामिल मौजूद थे।कार्यक्रम का संचालन हेमंत बिष्ट और जया शाह द्वारा किया गया था, नाद फाउंडेशन देश के कई शहरों में शास्त्रीय संगीत की अपनी सफल प्रस्तुति दे चुका है।भारतीय संगीत के उत्थान व उसमें परिवर्तन लाने में हर युग का अपना महत्वपूर्ण योगदान रहा है,जिसमे शास्त्रीय संगीत आज भी सर्वोच्च स्थान पर है।