हिंदी भाषा को श्रीलंका राष्ट्र संघ की भाषा बनाने की उठी मांग

हिंदी सिर्फ भारत मे ही नही बल्कि श्रीलंका की भी सबसे प्रिय भाषा है,और भविष्य में शायद हिंदी भाषा श्रीलंका की राष्ट्र संघ की भाषा भी बन जाये, जी हां इसमें की दो राय नही कि हिंदी भाषा को राष्ट्र संघ भाषा बनाने के लिए श्रीलंका में संघर्ष के लिए कवायद शुरू हो चुकी है, और हो सकता है कि ये संघर्ष कागज़ों पर मुहर लगकर जल्द ही पूरा भी हो जाये।दरअसल श्रीलंका में भारतीय दुतावास विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र के सहयोग से आधारशिला विश्व हिंदी मिशन की पहल पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में हिंदी को राष्ट्र संघ की भाषा बनाने की मांग प्रमुखता के साथ उठायी गयी।श्रीलंका के अलावा बाकी और देशो ने भी सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्र संघ की भाषा बनाने की जमकर वकालत की।
इस सम्मेलन की खास बात ये थी कि सिर्फ हिंदी को ही नही बल्कि भारत और श्रीलंका के आपसी संबंधों को भी प्रमुखता के साथ रेखांकित किया गया था।इस सम्मेलन के समन्वयक दिवाकर भट्ट के अनुसार श्रीलंका और भारत सांस्कृतिक रूप से एक ही हैं इसीलिए दोनों देशों को हिंदी को राष्ट्र संघ की भाषा बनाने के लिए संघर्ष करना होगा,हिंदी पूरे विश्व को भारत से जोड़ती है।पूर्व कमिश्नर और लेखक सतीश अग्रवाल ने सम्मेलन में कहा कि भारत-श्रीलंका के बीच रामायण काल से सांस्कृतिक संबंध रहे हैं,बौद्ध धर्म ने इन संबंधों को और ज़्यादा मजबूत किया है। भारतीय दूतावास की अधिकारी डॉ. मोनिका शर्मा ने सम्मेलन में भारतीय मिशन और विवेकानंद सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से हिन्दी के प्रसार के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी।