हरिद्वार : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के समर्थन में जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी फोन पर प्रधानमंत्री से हुई थी चर्चा

कोरोना महामारी का प्रकोप एक बार फिर से बड़े पैमाने पर पूरे देश मे देखने को मिल रहा है धर्म नगरी हरिद्वार में कोरोना महामारी के बीच आस्था का सबसे बड़ा महापर्व कुंभ मेला चल रहा है। इसी को देखते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कुंभ मेले को प्रतीकात्मक रूप से करने के लिए साधु-संतों से अपील की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी से और कई साधु संतों से फोन के माध्यम से कुंभ को लेकर चर्चा की जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी सहित संन्यासी अखाड़ों के साधु संत भी प्रधानमंत्री की अपील से सहमत नजर आ रहे हैं।  


सन्यासी अखाड़ों के साधु संतों द्वारा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील का स्वागत किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी से फोन पर वार्ता की गई थी, अवधेशानंद गिरी द्वारा भी कुंभ मेले को प्रतीकात्मक रूप से मनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील का स्वागत किया। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेरी फोन पर चर्चा हुई है उनके द्वारा साधु-संतों के हालचाल जाने गए क्योंकि प्रधानमंत्री काफी भावुक व्यक्ति है उनके द्वारा पूछा गया संतों का कैसा स्वास्थ्य है अखाड़ों में किस तरह की दिनचर्या चल रही है। मेरे द्वारा उनको कहा गया सभी साधु संत स्वस्थ है मेरे द्वारा में को कहा गया कि कुंभ मेले के सभी स्नान अच्छी तरीके से संपन्न हुआ है और बाहर से काफी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार आए गुजरात महाराष्ट्र हरियाणा पंजाब छत्तीसगढ़ में कोरोना का प्रकोप है और हो सकता है कि वहां से आए श्रद्धालु कोरोना के संक्रमण होकर आए होगे मगर कुंभ से कोरोना नहीं फैला इनके द्वारा देश की जनता से अपील की गई वृद्ध गर्भवती महिलाएं और बच्चे हरिद्वार ना आए। इनका कहना है काफी संख्या में साधु संत भी स्नान करके चले गए हैं बाकी आने वाले 27 तारीख का स्नान बैरागी अखाड़े करते हैं और उनके स्नान का हम सम्मान करते हैं उनका स्नान होना चाहिए मगर बाकी सन्यासियों के सभी अखाड़े इस स्थान को प्रतीकात्मक ही करते हैं और हमारे द्वारा कुंभ समाप्ति की घोषणा नहीं की जा रही है प्रशासन ने भी स्नान की तैयारियां की हुई है। इनका कहना है गृहमंत्री से भी मेरी बातचीत हुई है प्रधानमंत्री और गृहमंत्री संतो शब्दों के प्राणों को लेकर चिंतित है। इनका कहना है कि धर्म बड़ी चीज है पर उससे बड़े प्राण हैं आस्था बढ़ी है पर उससे बड़ा जीवन है और दूसरों की प्राणों की रक्षा है अब धीरे-धीरे हमें सभी बड़े आयोजन को प्रतीकात्मक करने चाहिए।


अवधेशानंद गिरि का कहना है कि कोरोना का जो स्टैंड आया है इससे ना कोई देश अछूता है और ना ही हमारे देश के कोई प्रदेश अछूते हैं।  कोरोना का संकट पूरे विश्व में है मगर हरिद्वार में आयोजित हो रहे कुंभ में कोरोना का बहुत बड़ा प्रकोप नहीं है और कोरोना यहां पर इतना आक्रामक नहीं है और प्राण कहां तक नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी साधु संतों द्वारा भारत सरकार की गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है। हमारे आश्रमों में सभी कोरोना की नेगेटिव लेकर आ रिपोर्ट लेकर आ रहे हैं सभी साधु संत लगातार कोरोना की टेस्टिंग भी करवा रहे हैं। मैंने खुद 12 बार कोरोना की टेस्टिंग कराई सभी साधु खुद आगे आकर टेस्टिंग करवा रहे हैं। इनका कहना है कि जूना अखाड़े में सबसे ज्यादा नागा संन्यासी है और सबसे ज्यादा कोरोना की टेस्टिंग भी जूना अखाड़े में हुई है और यहां पर बहुत कम कोरोना पॉजिटिव संत हुए हैं उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट अपील की है कि संतों और श्रद्धालुओं का आदर होना चाहिए और कोरोना की जंग में सभी बड़े आयोजन प्रतीकात्मक हो हमारे द्वारा कुंभ समाप्ति की घोषणा नहीं की गई है बस यह अपील की जा रही है कि बाकी स्नान प्रतीकात्मक हो।


देश में बड़े पैमाने पर बढ़ रहे कोरोना के खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कुंभ को प्रतीकात्मक रूप से मनाने की साधु संतों से अपील की गई और संन्यासी अखाड़ों के साधु संतों द्वारा प्रधानमंत्री की अपील का स्वागत किया गया। सन्यासी अखाड़े कुंभ का आखरी स्नान प्रतीकात्मक रूप से मनाए गए मगर बैरागी अखाड़ों द्वारा कुंभ का आखिरी शाही स्नान प्रतीकात्मक रूप से मनाया जाएगा यह अभी संशय की स्थिति है।