हरदा पर हाई कमान ने फिर किया भरोसा

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत पर हाईकमान ने एक बार फिर भरोसा जताते हुए नैनीताल उधम सिंह नगर लोक सभा सीट से मैदान में उतारा है. यहा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट से हरीश रावत का सामना होगा. नैनीताल संसदीय सीट दोनों प्रत्याशियों के लिए अब नाक का सवाल बन गया है. अजय भट्ट ब्राह्मण चेहरा हैं तो हरीश रावत राजपूत चेहरा I ऐसे में मुकाबला ज्यादा रोचक बन गया है, हरीश रावत हमेशा ही अपने काम करने के अंदाज को लेकर चर्चा में रहें हैं, यही वजह है कि कांग्रेस हाईकमान ने हरीश रावत पर दांव खेला है I

कैसा है हरीश रावत का राजनीतिक सफर, आइए डालते हैं एक नजर..

हरीश रावत अपनी राजनीतिक शुरुआत ब्लॉक स्तर से शुरू की थी. महज 28 साल की उम्र में भिकियासेन के ब्लॉक प्रमुख बने. इसके बाद हरीश रावत अल्मोड़ा जिला अध्यक्ष बने. हरीश रावत पहली बार 1980 में केंद्र की राजनीति में शामिल हुए तब वह अल्मोड़ा से सांसद चुने गए थे. 1984 और 1989 में भी उन्होंने संसद में इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. 1992 में उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस सेवा दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का महत्वपूर्ण पदभार ग्रहण किया, जिसकी जिम्मेदारी 1997 तक निभाते रहे.राज्य निर्माण के बाद हरदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए गए, उनकी अगुआई में 2002 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत प्राप्त हुआ और उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनी. नारायण दत्त तिवारी के मुकाबले मुख्यमंत्री पद की दावेदार से पिछड़ने के बाद उसी साल नवंबर में रावत को उत्तराखंड में राज्यसभा भेजा गया 1991, 1996, 1998, 1999 में लगातार चार बार लोकसभा चुनाव हारे, बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है और 2009 में हरिद्वार से सांसद बनकर खोई प्रतिष्ठा वापस हासिल की.उस दौरान तत्कालीन यूपीए सरकार में हरीश रावत को पहले राज्य मंत्री और बाद में कैबिनेट मंत्री बनाया गया. कांग्रेस पार्टी जब एक बार फिर प्रदेश की सत्ता में 2012 में आई तो इस बार भी पार्टी आलाकमान ने उनकी दावेदारी को नकार कर विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बना दिया. उसका प्रदेश के विधायकों ने भारी विरोध किया बहुगुणा के सत्ता संभालने के बाद से लगातार प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें चलती रहीं जो 16 और 17 जून 2013 में आई आपदा से निपटने में राज्य सरकार की नाकामी के चलते और तेज हो गई.बहुगुणा को पद मुक्त कर 1 फरवरी 2014 को हरीश रावत को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री घोषित कर दिया गया. मुख्यमंत्री के तौर पर हरीश रावत के लिए 2016 का साल चुनौतीपूर्ण रहा जहां सत्ताधारी कांग्रेसी विधायकों ने मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावत के सुर बुलंद कर दिए और इसे अश्लीलता के चलते प्रदेश में 16 साल में पहली बार सरकार की बर्खास्तगी और राष्ट्रपति शासन लगाया गया.

2017 में हुए विधानसभा चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन दोनों ही जगह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. एक बार फिर कांग्रेस आलाकमान में उन पर विश्वास जताते हुए उन्हें नैनीताल लोकसभा का उम्मीदवार घोषित किया है और यही बात हरीश रावत के राजनीतिक कद को और कद्दावर बनाती है I

हरीश रावत उत्तराखंड के कद्दावर नेताओं में माने जाते हैं. हरीश रावत पूर्व केंद्रीय मंत्री के पद के साथ साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद के भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं I हरीश रावत का जन्म 27 अप्रैल 1947 को अल्मोड़ा जिले के मोहनारी में हुआ था , हरीश रावत ठाकुर परिवार से आते हैं उनके पिता का नाम राजेंद्र सिंह और माता का नाम देवकी देवी है और  पत्नी के नाम रेणुका रावत है उनकी प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा से हुई है, जबकि बी ए और एलएलबी की पढ़ाई लखनऊ विश्वविद्यालय से हुई.1990 में वह संचार मंत्री बने और मार्च 1990 में राजभाषा कमेटी के सदस्य बने 1999 में हरीश रावत हाउस कमेटी के सदस्य बने. 2001 में उन्हें उत्तराखंड के कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया.2002 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए, 2009 में वह एक बार फिर लेबर एंड एंप्लॉयमेंट राज्य मंत्री बने. वर्ष 2011 में उन्होंने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर उत्तराखंड हरिद्वार लोकसभा सीट से जीत हासिल की. उन्हें राज्य मंत्री कृषि और खाद्य प्रसंस्करण इंडस्ट्रीज के साथ संसदीय कार्य मंत्री का कार्य सौंपा गया.मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत किच्छा और हरिद्वार सीट पर विधानसभा चुनाव लड़े, जहां दोनों सीटों से हार का मुंह देखना पड़ा. फिलहाल हरीश रावत कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हैं I