सरकार और राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड स्थिति स्पष्ट करे-हाईकोर्ट

प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड की बिना अनुमति के पिछले एक साल में राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में 55 स्टोन क्रेशरों को लगाने की अनुमति दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि बुधवार को नियत की है। सरकार और राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई।
बताते चलें कि रामनगर निवासी सर्वजीत सिंह और आनंद सिंह ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने पिछले 12 से 15 महीने में उत्तरकाशी ,गंगोत्री ,रुद्रप्रयाग ,उखीमठ सहित प्रदेश के कई अन्य स्थानों पर स्टोन क्रेशर लगाने की अनुमति बिना राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के दे दी है ,साथ ही सरकार ने इनके मानक भी खुद ही तय कर दिए हैं, 75 डेसिबिल दिन में और 70 डेसिबिल रात को तय कर दिया है| जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुसार यह ध्वनि इंडस्ट्रियल एरिया में 55 डेसिबिल दिन और 45 डेसिबिल रात को होनी चाहिए। याचिकाकर्ताओं का कहना कि इनको बन्द किया जाय। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से पूछा कि यह मानक तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तय करता है, और स्टोन क्रेशरों के संचालन का लाइसेंस भी बोर्ड देता है, तो सरकार कैसे दे सकती है । कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद दोनों से बुधवार तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।