शिक्षा बन्धुओं के प्रत्यावेदनों को तीन सप्ताह के भीतर निस्तारित कर विधि अनुसार निर्णय लें-हाईकोर्ट

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शिक्षा बन्धुओं के मामले में सुनवाई करते हुए सरकार को निर्देश दिए हैं कि उनके प्रत्यावेदनों को तीन सप्ताह के भीतर निस्तारित कर विधि अनुसार निर्णय लें। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई।
सजंय कुमार चमोली ,राजेन्द्र प्रसाद ,बालकृष्ण,भगवती,प्रसाद , अरविन्द रतूड़ी सहित करीब 145 शिक्षा बन्धुओं द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकर्ताओं का कहना है कि उनकी नियुक्ति शिक्षा बन्धुओ के रूप में 2001 में हुई थी। सरकार द्वारा 2005 में यह निर्णय लिया गया कि रिक्त पदों के सापेक्ष इनकी नियुक्ति की जाय । सरकार द्वारा 2013 में नियमतिकरण नियमावली 2011 के अनुसार सभी शिक्षा बन्धुओ को नियमित किया गया और सरकार ने 2016 में अपने शासनादेश में 2 जुलाई 2002 के आधार पर इनको चयनित वेतनमान दिया । 8 दिसम्बर 2017 को सरकार ने हस्तपुस्तिका का हवाला देते हुए चयनित वेतनमान का सासनादेश निरस्त कर दिया। जिसको उन्होंने हाईकोर्ट में विभिन्न याचिकाओं के द्वारा चुनौती दी।याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा है कि उन्होंने विभाग में दस वर्ष सन्तोषजनक सेवा की है ,उनको चयनित वेतनमान दिया जाय, क्योंकि उनको पहले सरकार द्वारा चयनित वेतनमान के लाभ दिए गए है। याचिकर्ताओ का यह भी कहना है कि सरकार ने उनको सुनवाई का मौका दिए बिना चयनित वेतनमान का शासनादेश निरस्त कर दिया। मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि याचिकर्ताओं के प्रत्यावेदनो को तीन सप्ताह में सुनकर विधि अनुसार निर्णय ले।