शहर में बढ़ी पशुओ की तादाद

 जहां एक ओर देश और उत्तराखण्ड में गौ माता को राष्ट्रीय माता का दर्जा दिए जाने की बात सामने आ रही है। वहीं शहर के भीतर गौ वंशीय पशुओं यातायात मार्ग को बाधित कर रहे हैं। मगर नगर निगम प्रशासन इस ओर कुछ करता नहीं दिख रहा है। नगर निगम का दायरा बढ़ने के बाद इसमें 72 गांव और जोड़ दिये गए हैं। ऐसी स्थिति में शहरी क्षेत्रफल तो बढ़ा, लेकिन शहर में सिर्फ एक ही कांजी हाउस होने की वजह से आवारा पशुओं को संभालना मुश्किल हो गया है। 


मामलें में नगर निगम के वरिष्ठ पशु चिकित्सक विवेकानंद सती ने बताया कि निगम का दायरा बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्र अब शहरी हो गया है। जिससे शहर में गौवंशीय पशु अधिक हो गए हैं। वहीं यातायात बाधित होने की वजह से सड़कों पर हादसे होने की संभावना बनी रहती है। लोग इन जानवरों को अनउपयोगी होने के बाद सड़कों पर छोड़ देते हैं, शहरी क्षेत्रफल तो बढ़ा मगर कांजीहाउस अभी भी एक ही है। आवारा पशुओं को रखने के लिए कोई शरणालय भी नहीं है, जिससे इन्हें वहां रखा जा सकें। ग्रामीण क्षेत्र का शहरी क्षेत्र में शामिल होने के बाद भी कांजी हाउस और पशु शरणालय में कोई इजाफा नहीं हो सका है। जिससें गौ वंशीय पशुओं की संख्या यातायात मार्गों में बढ़ती जा रही है।