वन विभाग में बड़ा घोटाला

हरिद्वार वन प्रभाग की रसियाबड़ रेंज में बिना टेंडर और कोटेशन के 1.59 करोड़ रुपये के कार्यों के नकद भुगतान के मामले में वन मुख्यालय ने जांच बैठा दी है। अपर वन संरक्षक ने मुख्य लन संरक्षक (सतर्कता एवं विधि प्रकोष्ठ) को जांच सौंपकर एक माह के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है। वर्ष 2015-16 से वर्ष 2017-18 के बीच हरिद्वार वन प्रभाग में एक करोड़ 59 लाख रुपये से अधिक का नकद भुगतान कर लिया गया था। इसमें विभिन्न खरीद से लेकर श्रमिंकों को किया गया भुगतान तक शामिल है। एक आरटीआई के खुलासे में वन्यजीव सुरक्षा के विभिन्न कार्यों के लिए श्रमिंकों को 11 लाख 40 हजार रुपये का नकद भुगतान किया गया है, जबकि काम के प्रमाणकों पर किसी भी फील्ड अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं हैं। श्रमिंकों ने किन क्षेत्रों में काम किया, इसका भी उल्लेख कहीं नहीं मिला और श्रमिंकों के पते भी नहीं दिए गए। इसके अलावा बिना किसी टेंडर या कोटेशन के रेंजर ने एक साल के लिए बोलेरो कार 30 हाजर रुपये मासिक किराये पर ले ली । देहरादून के जिस अजबपुर कलां स्थित नागराजा टूर एंड ट्रैवलर्स से वाहन लिया गया, उसके जीएसटी व टिन मंबर का भी उल्लेख नहीं मिला। इसी तरह वर्ष 2017 के वर्षाकाल में विभन्न प्रजाति के पौधों की खरीद पर 4.69 लाख रुपये से अधिक का व्यय भी नकद में किया गया। ऐसे ही तमाम भुगतान मानकों को ताक पर रखकर कर दिए गए। अब इसकी जांच मुख्य वन संरक्षक को सौंपी गई है।