रेखा आर्या के विभाग पर लगा संगीन आरोप : मोबाइल और प्री स्कूल किट की खरीद फ़रोख़्त में हुआ कमिशन का खेल

महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग में अनियमितताओं की शिकायत की गई । इस सिलसिले में मुख्यमंत्री को भेजे गए गुमनाम शिकायती पत्र में कहा गया है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिेए जाने वाले मोबाइल बाजार रेट से कहीं अधिक दरों पर खरीदे दए हैं। आरोप है कि निम्न गुणवत्ता वाला यह मोबाइल 10000 की दर पर पास किया गया, जबकि बाजार में इसका मूल्य 5890 रुपये है। इसके अलावा प्री- स्कूल किट और वजन मशीन खरीद में भी भारी गड़बड़झाले की शिकायत की गई है। उधर इस संबंध में संपर्क करने पर विभाग की निदेशक झरना कमठान ने ऐसी कोई शिकायत मिलने से इंकार किया है। हालांकि उन्होनें बताया कि मोबाइल खरीद के ई- टेंडर केंद्र सरकार के मानकों के अनुसार जैम पोर्टल पर किए गए हैं। जैम पर रेट फिक्स होते हैं। उन्होंने अन्य अनियमितताओं की शिकायत को भी निराधार बताया है। मुख्यमंत्री को भेजे गए गुमनाम शिकायती पत्र में आरोप लगाया गया है कि 20 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए केंद्र सरकार ने प्रति फोन 10 हजार रुपये की राशि दी है। दो बार इसके टेंडर निरस्त होने के बाद तीसरी बार जो टेंडर हुआ उसमें प्रति मोबाइल की दर को बाजार दर से साढ़े तीन हजार अधिक दाम पर पास किया गया। पत्र में यह शिकायत की गई है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों के खेलकूद एवं पढ़ाई के लिए प्री- स्कूल किट 4900 प्रति किट की दर से खरीदी गई। इस किट का बाजार मूल्य 2500 रुपये है। पत्र में यह भी उल्लेख है राष्ट्रीय पोषण मिशन में आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए 4 तरह की वजन मशीन 11 करोड़ रूपये  में खरीदी गई हैं जो वास्तविक मूल्य से कही अधिक हैं। साथ ही इन प्रकरणों में विभागीय मंत्री रेखा आर्य की चुप्पी पर भी प्रश्न उठना लाजमी है । प्रश्न यह उठता है कि क्या इतना बड़ा खेल मंत्री और विभाग की निदेशक के बिना चल रहा था । आखिर यह कैसे संभव है कि बिना उनकी मिली भगत के इतना बड़ा घोटाला हो जाए। यही है मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जीरो ट्रालरेंस की सरकार ।