उत्तराखंड में पोषण अभियान के तहत मंत्री व अधिकारियों द्वारा अतिकुपोषित बच्चों को गोद लेने की योजना शुरू की जा रही है।मंत्री व अधिकारी इन बच्चों की खुराक व दवा का खर्च उठाने के साथ ही समय-समय पर इनके विषय में जानकारी लेंगे।मंगलवार तीन सितंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पोषण अभियान की शुरुआत करेंगे।इसी दिन यह योजना भी शुरू की जाएगी।मीडिया से बातचीत के दौरान महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास सचिव,सौजन्या ने बताया कि प्रदेश में 1600अतिकुपोषित बच्चे हैं,जबकि कुपोषण का शिकार बच्चों का आंकड़ा17000 है।अतिकुपोषित बच्चे इस दायरे से बाहर निकल सकें,इसके लिए इन बच्चों को मंत्री,विधायकों व अधिकारियों द्वारा गोद लेने की योजना बनाई गई है।कुपोषण का शिकार शेष बच्चों के लिए लगातार पुष्टाहार भेजा जा रहा है।इस दौरान उन्होंने बताया कि सही जानकारी न होने से बच्चों को पुष्टाहार नहीं दिया जाता।लोगों को इसके बारे में जागरूक करने के लिए व्यापक प्रचार प्रसार की जरूरत है।इसके लिए तीन सितंबर से व्यापक अभियान शुरू किया जा रहा है।इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं की जांच कर उन्हें भी पौष्टिक आहार दिया जा रहा है।अब एनीमिक गर्भवती महिलाओं को लेकर विस्तृत योजना बनाई जाएगी।
विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखण्ड के सभी जिलों में कुपोषण की समस्या बनी हुई है।इससे पार पाने के लिए 105 प्रोजेक्ट संचालित किए जा रहे हैं,इन्हें शहरी क्षेत्रों के1274और ग्रामीण क्षेत्र को 18666 आंगनबाड़ी व मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से चलाया जा रहा है।इसमें मुख्य फोकस नौनिहालों औऱ गर्भवती व धात्री महिलाओं पर किया गया है।उन्हें आंगनबाड़ी केन्द्रों के नियमित तौर पर पौष्टिक आहार दिया जा रहा है।राज्य के आंगनबाड़ी केन्द्रों में भले ही 6.82 लाख बच्चों व महिलाओं को लाभान्वित किया जा रहा हो,मगर मलिन बस्तियां आज भी चुनौती बनी हुई हैं,कुपोषण की समस्या इन्हीं बस्तियों में अधिक है।हालांकि वहां के बच्चे व महिलाएं भी आंगनबाड़ी केन्द्रों में पंजीकृत है,अब सरकार ने मलिन बस्तियों पर भी विशेष ध्यान देने पर जोर दिया है।उम्मीद की जाती है कि सरकार की मंत्री व अधिकारियों द्वारा अतिकुपोषित बच्चों को गोद लेने की योजना,धरातल पर उतरे और राज्य कुपोषण से मुक्त हो।