मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने किसे कहा माफियाओं और ब्लैकमेलरों को साथ रखने वाला।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में सीबीआई का शिकंजा कसने को लेकर राजनीति तेज हो गई है।पूर्व मुख्यमंत्री ने उनके ऊपर सीबीआई का शिकंजा कसे जाने पर कहा कि सरकार के कहने पर ही सबकुछ होता हैं,साथ ही उन्होंने कहा कि मामला अभी न्यायालय में है,और उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है,न्यायालय से जो भी निर्णय आएगा वह उन्हें स्वीकार होगा।हरीश रावत द्वारा सरकार के कहने पर सबकुछ होता है दिए गए बयान पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरीश रावत पर पलटवार करते हुए कहा कि सीबीआई जांच को लेकर हरीश रावत को बयान देने से पहले सोचना चाहिए,उन्होंने कहा कि हरीश रावत ने माफियाओं और ब्लैक मेलिंग करने वालों को साथ रखा जबकि सार्वजनिक जीवन में इन बातों का सभी को ध्यान रखना चाहिए।सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ऐसे लोगों को साथ रखने पर कोई भी व्यक्ति जांच के घेरे में फंस सकता है।पत्रकारों द्वारा कांग्रेसी नेताओं पर लगातार सीबीआई का शिकंजा कसे जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा यदि मीडिया चाहती है कि ऐसे लोगों के खिलाफ जांच ना हो तो जांच बंद की जा सकती है।सीबीआई द्वारा उत्तराखंड हाईकोर्ट में मॉडिफिकेशन एप्लीकेशन दायर कर कहा है कि सीबीआई की इस मामले में प्रारंभिक जांच पूरी हो चुकी है,और अब हरीश रावत की उनको गिरफ्तारी करनी है।
आपको बता दें कि 2017 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया था।जिसके बाद से उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार गिरी और सरकार गिरने के बाद राज्यपाल की संस्तुति से हरीश रावत पर सीबीआई जांच शुरू हुई।सीबीआई हरीश रावत की गिरफ्तारी की तैयारी कर रहा था,लेकिन इसी बीच हरीश रावत ने स्टिंग को फर्जी बताते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट की शरण ली और अपनी गिरफ्तारी पर रोक और सीबीआई जांच को खत्म करने की मांग की थी।मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकल पीठ ने हरीश रावत को सीबीआई जांच में सहयोग करने के आदेश दिए थे,साथ ही सीबीआई को निर्देश दिए थे कि वह हरीश रावत की गिरफ्तारी न करें।इसके अलावा सीबीआई को आदेश दिए थे कि अगर हरीश रावत की गिरफ्तारी करने की जरूरत पड़ेगी तो सीबीआई गिरफ्तारी से पहले हाईकोर्ट की एकल पीठ को अवगत कराएंगे,जिसके बाद से सीबीआई मामले की जांच कर रही थी,साथ ही स्टिंग मामले में 15 जून 2017 की कैबिनेट बैठक में हरीश रावत पर चल रही सीबीआई जांच को हटाकर जांच एसआईटी से करने का फैसला लिया था।जिसको हरक सिंह रावत ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि अगर राज्यपाल किसी मामले में एक बार सीबीआई जांच की संस्तुति दे देते हैं,तो उसे हटाया नहीं जा सकता।लेकिन राज्य सरकार द्वारा 15जून को हुई बैठक में हरीश रावत पर चल रही सीबीआई जांच को हटाने की संस्तुति कर दी जो नियम विरुद्ध है साथ ही हरक सिंह रावत ने हरीश रावत पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी,जिसके बाद से मामला सीबीआई के पाले में था और सीबीआई मामले में गहनता से विधायकों की खरीद-फरोख्त पर जांच कर रही थी,अब करीब डेढ़ साल बाद सीबीआई ने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है।अब मामले में 20 सितंबर को सुनवाई होगी।