ब्रेकिंग:कल तक जो जातिसूचक शब्दो से अपमानित कर रही थी पुलिस के घर पहुंचते ही लगी माफी मांगने

नैनीताल जिले के लालकुआं में जातिवाद को लेकर घृणित मानसिकता की एक वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुई जिसमे एक महिला अपने पड़ोसी से चीख चिल्ला कर लड़ती हुई नजर आ रही थी,और अपने पड़ोसी को हरिजन और आर्या बोलकर अपने बगल के प्लाट से निकल जाने के लिए बोल रही है, महिला आधुनिक भारत में नफरत के बीज बोती नज़र आई।मामले ने जब तूल पकड़ा और पुलिस तक बात पहुंची तो पुलिस महिला के घर जा धमकी जिसके बाद महिला माफी मांगती नज़र आई,अब उसी व्यक्ति को बहन होने की दुहाई दे रही है जिसकी जातिसूचक शब्दों से बेइज़्ज़ती की थी ।


मामले के अनुसार बिन्दुखत्ता निवासी एक महिला के मकान के बगल में विजय टम्टा नाम के एक व्यक्ति ने 35 लाख में प्लाट खरीदा था जिस पर वो अब मकान बनाने की सोच रहा है लेकिन वीडियो में दिखाई दे रही महिला अपने घर के आंगन से चीखती चिल्लाती उस व्यक्ति को हरिजन और आर्या बोलकर अपमानित कर रही है और कह रही है कि कोई भी हरिजन या आर्या पंडितों के बीच मे जमीन नही खरीद सकता।समझाने के बावजूद महिला मान नही रही बल्कि उल्टा उस प्लाट को किसी पंडित को बेचकर उस इलाके से चले जाने को बोल रही है ।इस पूरे मामले की वीडियो बना रहे व्यक्ति पर भी वो महिला पत्थर से हमला करती दिखाई दे रही है ।सोशल मीडिया में वायरल हो रही इस वीडियो के बाद लोगो मे महिला को लेकर खासा रोष व्याप्त हो गया है और लोग सोशल मीडिया पर इस महिला के खिलाफ सख़्त से सख़्त कार्यवाही करने की मांग भी करने लगे। जातिवाद के इस मामले अब नया मोड़ आ गया है, कल तक जो महिला वीडियो में हरिजन लोग माहौल खराब कर देंगे कह रही थी आज वो कह रही राजीनामा कर लो मैं तुम्हारी बहन जैसी हूं,सोशल मीडिया में इस महिला का वीडियो जब वायरल हुआ तब मामले ने तूल पकड़ा फिर शिल्पकार समाज ने भी डीएम को इस महिला के खिलाफ ज्ञापन दिया,विजय टम्टा द्वारा भी महिला के खिलाफ थाने में तहरीर दी गयी और जब पुलिस महिला के घर पहुंची तब महिला की घिग्गी बन्ध गयी और कहीं जेल न जाना पड़े ये सोचकर अब माफी भी मांगने लगी है।

खैर कड़वी ज़रूर है लेकिन जो बात हम अब कहने जा रहे है वो आज के समाज का बहुत बड़ा सच भी है जातिसूचक शब्दो से बेइज़्ज़ती करनी वाली महिला ने जो कुछ भी बोला वो उसके दिलोदिमाग में बसा हुआ था फर्क सिर्फ इतना है  की महिला ने बोल दिया और कई ऊंची जाति के लोग यही बात अपने मन मे रखते हैं और जातिवाद का जहर अपने दिल में ही छिपा के रखते है जातिवाद के इस ज़हर को अभी कई साल लगेंगे खत्म होने में ।

आपको बता दें कि अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के लिए हरिजन शब्द को लिखने बोलने पर न्यायालय ने प्रतिबंध किया है। भारत सरकार के सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय शास्त्री भवन नई दिल्ली द्वारा जारी एक पत्र के अनुसार आधिकारिक रूप से अनुसूचित जातियों के संबंध में हरिजन शब्द के उपयोग पर पाबंदी के निर्देश भी दिए गए है।सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने तर्क दिया है कि 10 फरवरी, 1982 को गृह मंत्रालय ने राज्यों को दिये निर्देश में कहा था कि अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करते समय संबंधित पत्र में ‘हरिजन’ शब्द हर्गिज ना लिखा जाए। साथ ही राष्ट्रपति के आदेश के तहत ‘अनुसूचित जाति’ के रूप में उनकी पहचान का उल्लेख करने को कहा था। 18 अगस्त 1990 में मंत्रालय ने राज्य सरकारों से शेड्यूल्ड कास्ट (एससी) के अनुवाद के रूप में  में ‘अनुसूचित जाति’ उपयोग करने का अनुरोध किया था।