बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले ज्वाइंट डायरेक्टर समाज कल्याण को हाईकोर्ट का झटका

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में सुनवाई करते हुए खण्डपीठ ने पूर्व समाज कल्याण अधिकारी और वर्तमान के ज्वाइंट डायरेक्टर समाज कल्याण गीताराम नौटियाल को बड़ा झटका देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर लगी रोक हटाई और राष्ट्रीय जनजाति आयोग के आदेश को निरस्त कर दिया है।खण्डपीठ ने गीत राम नौटियाल पर न्यायिक कार्यो को प्रभावित करने पर पच्चीस हजार का जुर्माना लगाया है,जो उनको दो सप्ताह में जमा करना है।पिछली तिथि को कोर्ट ने निर्णय नहीं आने तक उनको गिरफ्तार नहीं करने और उनसे एसआईटी के साथ जाँच में सहयोग करने को कहा था।मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई।
पूर्व में छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपी पूर्व समाज कल्याण अधिकारी व वर्तमान जॉइंट डायरेक्टर समाज कल्याण अधिकारी गीताराम नौटियाल ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए पूर्व में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और दोनों ही कोर्ट ने गीताराम नौटियाल की याचिका खारिज कर दी,जिसके बाद गीताराम नौटियाल पर एसआईटी ने एफ आई आर दर्ज की एफ आई आर दर्ज होने के बाद गीताराम नौटियाल ने एससी-एसटी आयोग में अपना उत्पीड़न होने का मामला दर्ज कराया और कहा कि एसआईटी उनका पूछताछ के नाम पर उत्पीड़न कर रही है।जिसके बाद आयोग ने गीताराम नौटियाल पर कार्रवाई न करने के आदेश दिए।
आयोग के इस आदेश को पंकज कुमार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर चुनौती देते हुए कहा कि आयोग को मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है लिहाजा इन पर कार्रवाई जारी रखी जाय।जबकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है,और आयोग अपने कार्य क्षेत्र से बाहर जाकर न्यायिक प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न कर रहा है,इस आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए। मामले को सुनने के बाद खण्डपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। जबकि जाँच से सम्बंधित दूसरी जनहित याचिका राज्य आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान की ओर से कोर्ट में विचाराधिन है।जिसमें कहा गया है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया गया जिससे स्पष्ट होता है कि 2003 से अब तक विभाग द्वारा करोड़ों रूपये का घोटाला किया गया है जबकी 2017 में इसकी जांच के लिए पूर्व मुख्यमन्त्री द्वारा एसआईटी गठित की गयी थी और 3 माह के भीतर जांच पूरी करने को भी कहा था परन्तु इस पर आगे की कोई कार्यवाही नही हो सकी साथ ही याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इस मामले में सीबीआई जांच की जानी चाहिए।
पूर्व में छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपी पूर्व समाज कल्याण अधिकारी व वर्तमान जॉइंट डायरेक्टर समाज कल्याण अधिकारी गीताराम नौटियाल ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए पूर्व में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और दोनों ही कोर्ट ने गीताराम नौटियाल की याचिका खारिज कर दी,जिसके बाद गीताराम नौटियाल पर एसआईटी ने एफ आई आर दर्ज की एफ आई आर दर्ज होने के बाद गीताराम नौटियाल ने एससी-एसटी आयोग में अपना उत्पीड़न होने का मामला दर्ज कराया और कहा कि एसआईटी उनका पूछताछ के नाम पर उत्पीड़न कर रही है।जिसके बाद आयोग ने गीताराम नौटियाल पर कार्रवाई न करने के आदेश दिए।
आयोग के इस आदेश को पंकज कुमार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर चुनौती देते हुए कहा कि आयोग को मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है लिहाजा इन पर कार्रवाई जारी रखी जाय।जबकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है,और आयोग अपने कार्य क्षेत्र से बाहर जाकर न्यायिक प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न कर रहा है,इस आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए। मामले को सुनने के बाद खण्डपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। जबकि जाँच से सम्बंधित दूसरी जनहित याचिका राज्य आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान की ओर से कोर्ट में विचाराधिन है।जिसमें कहा गया है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया गया जिससे स्पष्ट होता है कि 2003 से अब तक विभाग द्वारा करोड़ों रूपये का घोटाला किया गया है जबकी 2017 में इसकी जांच के लिए पूर्व मुख्यमन्त्री द्वारा एसआईटी गठित की गयी थी और 3 माह के भीतर जांच पूरी करने को भी कहा था परन्तु इस पर आगे की कोई कार्यवाही नही हो सकी साथ ही याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इस मामले में सीबीआई जांच की जानी चाहिए।