बच्चों को भारतीय सभ्यता की जड़ों से रुबरु कराते शिक्षक।

आलोक रावत पौड़ी
21वीं सदी के इस आधुनिकता में नई पीढी नई तकनीक को अपनाकर आधुनिक संसाधनों से लैस तो हो गई है,लेकिन इस मशीनी नई पीढ़ी को पुरानी सभ्यताओं से दूर कर दिया है।लेकिन इन सबसे अलग पौड़ी के सरकारी आदर्श प्राथमिक विद्यालय नंबर 5 में शिक्षक कमलेश बलूनी और अन्य शिक्षकों की पहल बच्चों में अलग और अमिट छाप छोड़कर उन्हें पुरानी सभ्यताओं से जोड़ रही है,यहाँ गुरु जन अपने छात्र छात्राओं को पुरानी सभ्यता से पत्र लेखन के तौर तरीके सिखाकर हमारी सभ्यता से रूबरू करा रहे हैं,इस विद्यालय में गुरुजन छोटे-छोटे छात्र-छात्राओं को पत्र लिखना सिखा रहे हैं,और बच्चे भी अपने दूर संबंधियों को पत्र लिखकर बहुत ही अच्छा महसूस कर रहे हैं,राजकीय आदर्श विद्यालय पौड़ी के शिक्षकों की यह पहल लोगों को भी बहुत भा रही है,आज के युग में बच्चे मोबाइल फोन में खो गए हैं,जिसके कारण लगातार बच्चे अलग-अलग प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं, ऐसे में विद्यालय के शिक्षकों की यह पहल रंग लाती भी दिखाई पड़ रही है,बच्चों द्वारा अपने मित्रों और संबंधियों को भेजे गए पत्रों का जवाब भी उन्हें मिल रहा है,जिससे वे बहुत ही उत्साहित भी है,शिक्षकों का कहना है कि पत्राचार से जो भावना मन के अंदर उत्पन्न होती है,वह भावना फोनों में मैसेज करके उत्पन्न नहीं की जा सकती।पत्रों को संग्रहित करके भी रखा जा सकता है और ये पत्र हर समय हमारे गुजरे हुए समय की झलक हमें याद दिलाते रहते हैं,वाकई आधुनिक युग में शिक्षकों की यह पहल बहुत ही सराहनीय है,जो विलुप्त होती हुई हमारी परंपरा में जान फूंकने की कोशिश तो कर ही रही है।