बंगाली समुदाय को आरक्षण के बयान से उठे बवाल पर अजय भट्ट की सफाई

पिछले दिनों नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने संसद में उत्तराखण्ड के तराई में रह रहे बंगाली समुदाय के लोगों के लिए आरक्षण की मांग की थी,जिसके बाद उत्तराखंड में राजनीतिक दलों सहित राज्य आंदोलनकारियों व उत्तराखण्ड के आम जनमानस ने उनका कड़ा विरोध किया। इस विरोध के चलते बैकफुट पर आए लोकसभा सांसद अजय भट्ट ने इस मुद्दे पर अपनी सफाई देते हुए कहा कि बंगाली समुदाय को आरक्षण देने के लिए उन्होंने जो बात कही थी उस पर विपक्ष ने बेवजह का तूल देने का काम किया है,जबकि भारत और पाकिस्तान युद्ध के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ही इस समुदाय को हिंदुस्तान में बसने का अधिकार दिया था। जिनको राशन कार्ड, वोटर कार्ड और बिजली के बिल देने का काम भी तत्कालीन सरकार की ओर से किया गया था, उसी बात को प्रमुखता के साथ मैंने संसद में उठाया था। लेकिन मेरे राजनीतिक विरोधियों ने इसे तोड़ मरोड़कर पेश कर मुझे राजनीतिक रुप में नीचा दिखाने की कोशिश की। मेरे कुछ व्यक्तिगत विरोधियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से इसका दुष्प्रचार किया। उन्होंने कहा कि इस तरह से दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ जांच होनी चाहिए, और कानूनन उचित कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्होंने वही बात कही है, जो कानूनन जायज थी।

नैनीताल सांसद ने आगे कहा कि लोकसभा में इस बार उत्तराखंड को अपनी बात रखने का संपूर्ण समय मिला है, जिससे उत्तराखंड से भारतीय जनता पार्टी के सभी सांसदों ने अपने अपने क्षेत्र की समस्याओं को गंभीरता से सदन के पटल पर रखा। साथ ही उन्होंने कहा मैंने अपने लोकसभा क्षेत्र के तमाम मुद्दों को गंभीरता से सदन में चर्चा के दौरान उठाया है, जिसमें उत्तराखंड की स्थाई राजधानी, विकास, मेडिकल कॉलेज और पर्यटन आदि मुद्दों को प्रमुखता के साथ उठाया।