प्लास्टिक कचरे से डीजल बनेगा

उत्तराखंड में अब प्लास्टिक कचरे से डीजल बनेगा।आईआईपी देहरादून में पहली प्रायोगिक व्यवसायिक यूनिट की शुरुआत की गई है।मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इसका उद्दघाटन किया है।एक टन प्रतिदिन क्षमता के इस संयंत्र से 800 लीटर डीजल का उत्पादन होगा।सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून में ये संयंत्र स्थापित किया गया है।बायोफ्यूल से सफलतापूर्वक एयरक्राफ्ट उड़ाने के बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम(आईआईपी)अब प्लास्टिक से डीजल और पेट्रोल का उत्पादन करने जा रहा है।इस यूनिट से शुरुआत में प्रतिदिन 800 लीटर डीजल उत्पादन होगा।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि सफलतापूर्वक देश को बड़ा प्लांट समर्पित करने बड़ा मौका मिला है।पूरी दुनिया प्लास्टिक फ्री बनाने की ओर प्रयासरत है।प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बेहद घातक है,ये आईआईपी के वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि है।डॉ.हर्षवर्धन ने कहा कि एनजीओ की मदद से प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करेंगे और इससे लोगों को रोजगार मुहैया होगी।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे बड़ा 10 टन का प्लांट बनेगा और इसका खर्चा तीन साल में पूरा हो जाएगा।कई वर्षों के शोध के चलते बायोफ्यूल के बाद आईआईपी अब प्लास्टिक से बड़े पैमाने पर डीजल व पेट्रोल का उत्पादन करने जा रहा है।इससे देश में पेट्रोलियम पदार्थों को लेकर अन्य देशों पर निर्भरता कम होगी और देश का कचरा साफ होगा और इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ेगा।केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने सभी से सहयोग की अपील की।आईआईपी निदेशक डॉ.अंजन राय ने कहा कि कई वर्षों के शोध के चलते बायोफ्यूल के बाद आईआईपी अब प्लास्टिक से बड़े पैमाने पर डीजल व पेट्रोल का उत्पादन करने जा रहा है।उन्होंने कहा कि प्लास्टिक से डीजल और पेट्रोल का अविष्कार पहले ही आईआईपी कर चुका था,अब इसका उत्पादन आईआईपी करेगा।इसके लिये एक बड़ा प्लांट आईआईपी परिसर में लगाया गया है।इससे देश में पेट्रोलियम पदार्थों को लेकर उसकी अन्य देशों पर निर्भरता कम होगी।आईआईपी की यूनिट में दस हजार टन प्लास्टिक कचरे से एक बार में 800 लीटर डीजल बनाने की क्षमता है।एनजीओ की मदद से और लोगों की जागरूकता से इस यूनिट से बेहतर उत्पादन होगा और आने वाले दिनों में देश के अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह से यूनिट लगाई जाएगी।