पाॅलिथीन की समस्या से निपटने के लिए ग्राफिन हो सकता है कारगर साबित

नैनो प्रौद्योगिकी विषय में कुमाऊं विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग की ओर से तीन दिवसीय अंर्तराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया जा रहा है,जिसमें कई देशों के जाने माने प्रोफेसर और वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे हैं,सेमिनार में विश्व में लगतार बढ रही पाॅलिथीन की समस्या से निपटने के लिए ग्राफिन तैयार करने पर चर्चा कर रहे है, ताकि आने वाले भविष्य को पाॅलिथीन  के खतरे से बचाया सके।

 ग्राफीन आखिर है क्या ?आईये जानते हैं।

      ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी के शोधार्थी आंद्रे सीम और काॅन्सटेंटिन नोवोसेलोव ने 2004 में उस वक्त विज्ञान जगत में तहलका मचा दिया जब इन दोनों ने कार्बन के नैनो रूप यानी ग्राफीन की खोज की, ये पदार्थ इतना कारगर है कि इसके उपयोग से मानव जीवन के लिये इलैक्ट्राॅनिक वस्तुओं का इस्तेमाल बेहद सरल और किफायती हो जाएगा,नैनो टैक्नाॅलाजी की मदद से खोजे गये ग्राफीन का प्रयोग जेट विमानों के ईधन से लेकर सडक निमार्ण, दवा बनाने के लिए करा जाएगा।

वहीं कुमाऊं विश्वविद्यालय में भी अब रिसाइक्लिंग मशीन के  द्वारा प्लास्टिक को ग्राफिन और फ्यूर में परिवर्तित किया जा रहा है। इससे प्राप्त ग्राफिन का उपयोग उर्जा,पॉलीमर कम्पोजिट, वाटर प्यूरिफिकेशन और ड्रग डिलीवरी सिस्टम आदि में किया जाता है। साथ ही इससे प्राप्त फ्यूल को ईधन के रूप में प्रयोग किया जाएगा। वही इलैक्ट्रानिक उत्पादों में ग्राफिन के इस्तेमाल से न केवल उनकी क्षमता बढ़ाई जा सकती है बल्कि बिजली का भी कम से कम प्रयोग हो सकेगा।भारत में ग्राफीन के इस्तेमाल को कम ही जाना जाता था, लेकिन अब भारत में भी कई स्थानो पर ग्राफीन की प्रयोग शालायें लगाई जा चुकी हैं, और इन प्रयोगशालाओ में कई प्रकार के पदार्थ भी बनने लगे है जिनसे पेट्रोलियम पदार्थ, दवाए समेंत अन्य महत्वपूर्ण पदार्थ का निमार्ण करा जाने लगा है।