न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ाती पुलिस

उत्तराखंड में न्यायालय के आदेशो की धज्जियां उड़ाना अब आम बात हो चुकी है।न्यायालय से जो आदेश होते हैं उनकी अवहेलना करने का सिलसिला रुक नही रहा है,और ऐसा करने वालो में सबसे पहला नाम हमारी मित्र पुलिस का है ।
जून 2012 में एक विशेष समुदाय की युवती की बरामदगी की मांग करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगा कर शांति भंग करने और यातायात को रोकने के मुकदमे में 26 जुलाई 2019 को सुनवाई के पश्चात उधम सिंह नगर जिले के चार विधायकों राजकुमार ठुकराल,हरभजन सिंह चीमा,आदेश चौहान और अरविंद पांडे (शिक्षा मंत्री) ,पूर्व सांसद बलराज पासी समेत 24 के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुए थे, लेकिन 1सप्ताह बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली है ।
कोतवाली की जी डी के अनुसार सभी को गिरफ्तार करने के लिए लगातार दबिश दी जा रही है और इनके लिए बाकायदा 7 टीमों का गठन किया गया है ,जबकि हकीकत में तीनो माननीय अरविंद पांडेय,राजकुमार ठुकराल और हरभजन सिंह चीमा पुलिस की मौजूदगी में सोमवार को एक निजी अस्पताल का उदघाटन करते हुए पाए गए।कोर्ट के आदेशों की सरेआम धज्जिया उड़ाने वाली पुलिस की आंख के सामने ये सभी उद्धघाटन समारोह में खुलेआम शिरकत करते नज़र आते है और पुलिस गांधारी की तरह आंखों में पट्टी बांधे देखती रहती है ।
मामला 2012 का है जब एक विशेष समुदाय की लड़की को दूसरे समुदाय के लड़के के द्वारा भगा ले जाया गया था, जिसकी रिपोर्ट जसपुर पुलिस स्टेशन में लिखवाई गयी थी,इस मामले में भाजपा नेताओं ने और विशेष समुदाय के लोगों ने राष्ट्रीय राज मार्ग पर एक चौराहे में जाम लगा दिया था जिसकी वजह से लोगो को आवाजाही में खासी दिक्कतें हुई और शहरभर में तनाव की स्थिति पैदा हो गयी थी। जिसके बाद चार विधायकों और मंत्री समेत करीब 15 लोगो पर सरकारी काम काज में बाधा डालने और धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोप दर्ज किए गए थे जिस पर कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेकर चारो विधायको ,शिक्षा मंत्री और पूर्व सांसद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिए थे,लेकिन अब तक पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है।
हालांकि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का कहना है कि एन एच पर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा जाम लगाने का केस सरकार ने वापस ले लिया है। मुकदमे लगाना का ठीकरा अरविंद पांडे ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार के सर फोड़ दिया और कहा कि हमने पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए शांति पूर्वक प्रदर्शन किया था लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दबाव में ये केस किया गया है।अपनी सफाई में भले ही मंत्री जी कुछ भी कह ले पर इस मामले को लेकर सरकार के केस वापसी के कोई पुख्ता प्रमाण अभी तक सामने नही आये है ।
एक बड़ा सवाल पुलिस प्रशासन पर आ खड़ा हुआ है कि आखिर इतनी ड्रामेबाजी क्यों की जा रही है,आखिर इन विधायकों और मंत्री पर पुलिस का जोर क्यों नहीं चल रहा है, जबकि कोर्ट से आर्डर भी दिए जा चुके है।क्या इन सभी आरोपियों के ऊंचे ओहदों की ताकत है जो पुलिस इनके आगे झुक गयी है ? जो भी हो लेकिन कोर्ट के आदेशों की इस तरह पुलिस द्वारा अवहेलना किया जाना अपने आप मे लचर हो चुकी न्याय व्यवस्था को दर्शाता है।