नैनीताल में ही बनेगा अब प्लास्टिक के कचरे से बहुमूल्य पदार्थ " ग्राफिन"। एमओयू हुआ साईन ।

कुमाऊँ विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार नैनो टेक्नोलॉजी ने ना केवल एक बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया है बल्कि अब ये तकनीक आने वाले भविष्य में छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए नए आयाम भी स्थापित करेगी। कुमाऊँ विश्वविद्यालय में बेकार प्लास्टिक के कचरे से कार्बन के अपरूप ग्राफिन को तैयार करने में सफलता हासिल की थी जिसके बाद ब नैनो टेक्नोलॉजी से ग्राफिन को बनाने और उससे पर्यावरण को बचाने के लिए कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति रसायन विज्ञान विभाग डीएसबी परिषद के तत्वावधान में एमओयू हुआ है जो कि राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास परिषद नई दिल्ली ,जी बी पंत पर्यावरण संस्थान,भारत सरकार,एनएमएस कोसी कटारमल अल्मोड़ा एवं हेक्सर्प प्राइवेट लिमिटेड के मध्य सुनिश्चित हुआ है,अब इस तकनीक के हस्तांतरण के बाद इसके माध्यम से व्यर्थ प्लास्टिक कचरे से बहुमूल्य ग्राफीन का उत्पादन कर सकेंगे ,साथ ही ये तकनीक पर्यावरण को स्वच्छ बनाने और विश्व को प्लास्टिक के कचरे से निजात भी दिलाएगी।आपको बता दे कि ग्राफीन 21 वीं सदी का एक बहुमूल्य पदार्थ है,जिसका उपयोग उर्जा के क्षेत्र में सोलर सेल ,फ्यूल सेल बैटरी, सुपर कंप्यूटर,और दवाइयों के क्षेत्र में और जल के शुद्धिकरण में किया जा रहा है।प्रो नंदन साहू ने मीडिया को नैनो टेक्नोलॉजी की विशेषता बताते हुए कहा कि नैनो टेक्नोलॉजी से बनी बुलेट प्रूफ जैकेट वजन में हल्की होने के साथ ही अभेद होती हैं, जो देश की रक्षा में लगे जवानों के लिए कारगर सिद्ध हो सकती है।