नैनीताल के सनवाल स्कूल में अभिभावकों का फूटा गुस्सा

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी अब बेहिसाब बढ़ने लगी है। स्कूल प्रशासन के द्वारा फीस बढ़ाये जाने पर आक्रोशित अभिभावकों के नैनीताल के सनवाल स्कूल परिसर में हंगामा काटने पर अभिभावकों के साथ ही बदसलूकी की जा रही है।
पिछले साल की तुलना में इस साल फीस में और ज्यादा बढोत्तरी हो जाने और मेन्टेनेंस के नाम पर एक्स्ट्रा तीन हजार लिये जाने के विरोध में नैनीताल के सनवाल पब्लिक स्कूल में सुबह से ही अभिभावकों ने हंगामा करना शुरू कर दिया।
कुछ अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल मनमाने ढंग से 12 नहीं बल्कि 13 महीनों की फीस वसूल रहा है,जिसमें जाड़ों की तीन महीनों की छुट्टियों की भी फीस ली जाती है जो कि सरासर नाइंसाफी है।
साथ ही अभिभावकों का ये भी आरोप है कि स्कूल प्रशासन हमारे बच्चों से बिजली पानी साफ सफाई इत्यादि तक का चार्ज ले रहा है, जबकि स्कूल में ना तो टाॅयलेट दुरूस्त हैं ना ही पीने के पानी की कोई अच्छी व्यवस्था है।
आपको बता दें कि 2017 अगस्त में दिल्ली में हुई बैठक में उत्तराखंड के कुछ सख्त प्रावधानों को नरम करने के लिए कहा गया था ,केंद्र के एक्ट के संबंध में दिल्ली में हुई बैठक में 20 राज्यों के आला अधिकारियों ने भी शिरकत की थी। उत्तराखंड के महानिदेशक शिक्षा एवं अपर सचिव कैप्टन आलोक शेखर तिवारी भी उस बैठक में मौजूद थे। तब केंद्र के एक्ट से उत्तराखंड के एक्ट का भी मिलान किया गया था जिसमें राज्य के एक्ट के प्रावधान की अवमानना करने वाले स्कूल प्रबंधन के जिम्मेदारों को जेल भेजने के मामले में केंद्र ने थोड़ी नरमी बरतने के लिए कहा था। उसके बाद उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविन्द पांडे ने भी 2018 अप्रैल माह में राज्य मे फीस एक्ट लागू करने की बात की थी जिससे प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम कसी जा सके पर अब तक कोई फीस एक्ट राज्य में लागू नहीं किया गया है, और प्राइवेट स्कूल खूलेआम मनमानी फीस अभिभावकों से वसूल रहें है। बढ़ती फीस पर गुस्साये अभिभावकों से प्रिंसिपल द्वारा कहा जाता है कि अगर आप अफोर्ड नहीं कर सकते तो गवर्मेंट स्कूल में पढ़ा लिजिये अपने बच्चों को।प्राईवेट स्कूल है तो मनमानी भी इनकी ही चलेगी इनके ऊपर किसी का बस तो चलता ही नहीं,चले भी कैसे शिक्षा विभाग गान्धारी बना हुआ है, तो सरकार मानो खुद धृतराष्ट्र ही हो।प्रिंसिपल मैडम बेखौफ हो कर धमकी भी देती है कि आप एप्लिकेशन दीजिये अपने बच्चों के नाम के साथ। अभिभावक इसी बात से डरे हुये थे कि कहीं उनके बच्चो से बदला ना लिया जाये, कहीं उन्हें स्कूल से निकाल ना दें।आखिर बच्चो के नाम एप्लिकेशन में लिखने का क्या मतलब है? बच्चे थोड़ी फीस जमा करते हैं फीस देने वाले अभिभावक हैं वही सवाल जवाब करेंगे।एप्लिकेशन मे बच्चो के नाम लिखवाने पर जोर देने के पीछे की वजह क्या ये थी कि मैडम बच्चों के नाम पता चलने पर उन बच्चो के साथ गलत व्यवहार करें या उन बच्चो को स्कूल से निकालने के लिये कोई पैंतरा आजमाये। सच में इन प्राइवेट स्कूलों ने पैरेंट्स की कमर तोड़ कर रख दी है।
अभिभावक भी मजबूरी के चलते प्राइवेट स्कूलों के मकड़जाल में फंसे हुये हैं,साथ ही अभिभावकों को डर भी है कि कहीं उनके बच्चों को स्कूल से ना निकाल दें।और सरकार कोई भी ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं है।जाग जाइये सरकार ।आप के पास होगी जमीन जायदाद पर जनता के पास मेहनत की कमाई है ।हर तबके के लोगों के बच्चे स्कूलों पढ़ते हैं।मोटी फीस देने के लिये एक गरीब दिन रात मेहनत कर रहा है और एक झटके में प्राईवेट स्कूल फीस बढ़ा देते हैं।इन स्कूलों के मुताबिक ही किताबे बैग स्कूल ड्रैस और यहां तक कि जूते भी इन्ही की बताई दुकानों से लेनी पड़ती है क्योंकि यहां भी इन स्कूलों की मोटी कमाई जो होती है।कब रूकेगा ये शिक्षा के मंदिर का गोरखधंधा?अगर फीस एक्ट जल्द नहीं बना तो एसे ही ये प्राइवेट स्कूल फीस बढ़ाते रहेंगे,और मजबूर अभिभावक यूं ही लुटते रहेंगे।