नैनीझील के संरक्षण पर हाईकोर्ट सख्त

नैनीताल में हर साल पानी की किल्लत होने लगी है  ऐसे मे झील में भी यदि गन्दगी जाने लगे तो न सिर्फ नैनीताल वासियो के लिये बल्कि पर्यटको के लिये भी दूषित पानी खतरा बन सकता है साथ ही नैनीताल की खूबसूरत झील दागदार हो जायेगी ।झील प्रदूषित न हो इसके लिये नैनीताल हाईकोर्ट ने छतों से गिरने वाले बारिश के पानी को सीवर लाइन में डालने के मामले को अब गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने जल संस्थान को नगर में तकरीबन 215 चिह्नित मामलों में दो हफ्ते के अंदर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।कमल त्रिपाठी जो सामाजिक कार्यकर्ता भी है ने एक जनहित याचिका दायर की थी जिस पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति नारायण सिंह धानिक की संयुक्त खंडपीठ ने सुनवाई की।  सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता विपुल शर्मा ने कोर्ट में कहा कि नैनीताल के कई घरों के छतों का पानी सीवर से जोड़ कर रखा गया है।जिससे शहर में होने वाली बारिश का साफ पानी नैनी झील में जाने के बजाय शहर से बाहर चला जाता है। सीवर लाइन पर इसके दबाव के कारण माल रोड सहित कई अन्य स्थानों पर सीवर लाइन ओवर फ्लो हो जाती है और  गंदा पानी नैनीझील में  चला जाता है,जो कि नैनीताल के लिये बिल्कुल भी ठीक नही है। सुनवाई के दौरान जल संस्थान की ओर से कोर्ट में बताया गया कि ऐसे भवनों का सर्वे किया गया है। जिसमें 215 मामले सामने आए हैं। इनमें निजी और सरकारी भवन शामिल हैं। इस पर कोर्ट ने सख्त रवैया व्यक्त करते हुए जलसंस्थान से सभी भवनों के सीवर से संयोजन हटाने के कहा और इसके लिए दो हफ्ते का समय दिया है।