डबल इंजन की सरकार में भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं ग्रामीण।

पहाड़ों के विकास की कल्पना को लेकर अलग राज्य बने उत्तराखण्ड को आज 18 साल से अधिक समय हो चुका है। लेकिन इस पहाड़ी राज्य के पहाड़ आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। राज्य की डबल इंजन सरकार चारधाम यात्रा पर रिकार्ड श्रद्धालुओं के पहुंचने को अपनी उपलब्धि मानकर फूले नहीं समा रही हैं, और देवभूमि के नाम का इस्तेमाल कर तेरह नए पर्यटक स्थल विकसित करने की बात कर रही हैं। जबकि दूसरी तरफ हालात यह हैं कि उत्तराखण्ड के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। प्रत्येक गांव को सड़क से जोड़ने का और पलायन को रोकने की बात करने वाली सरकार दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की व्यवस्था भी नहीं कर पा रही है। लगातार सूखते प्राकृतिक जल स्त्रोतों के कारण अब पहाड़ी क्षेत्रों में जल संकट गहराता जा रहा हैं, पेयजल की कोई व्यवस्था न होने के कारण लोग पलायन कर रहे हैं और गांव के गांव खाली हो चुके हैं।


ऐसी ही समस्या से इन दिनों अल्मोड़ा जिले के बग्वालीपोखर क्षेत्र के ईड़ा सेरा गांव वालों को दो- चार होना पड़ रहा है। यहां आस-पास मौजूद प्राकृतिक जल स्त्रोत सूख चुके हैं, गांव में पहले से मौजूद पेयजल विभाग की पाइपलाईन में गर्मीभर तो पानी आया नहीं, अब बरसात में बरसाती गधेरों के ऊफान से पाइपलाइन कई जगह टूट चुकी है, और पाइफ लाइन में मिट्टी, रेत भर जाने के कारण पानी नहीं आ रहा है। रखरखाव के अभाव में पाइप-लाइन क्षतिग्रस्त हो चुकी है, जिससे कई जगह पानी की बरबादी हो रही है, और गांव के अधिकतर घरों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। ग्रामीण बरसाताी नालों (गधेरों) का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। पानी की समस्या से परेशान ग्रामीण स्थानीय पेयजल विभाग व स्थानीय नेताओं के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन इनकी फरियाद सुनने को कोई तैयार नहीं है। क्षेत्र यह हालात तब हैं, जब क्षेत्रीय विधायक व सांसद भी डबल इंजन सरकार के ही हैं। ग्रामीणों ने गांव के समीप कूस्तोग नामक स्थान से पेयजल उपलब्ध कराने की विभाग से मांग की है, अपनी मांग पर कोई कार्रवाई न होने पर गांव वालों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।