जो जीता वही सिकंदर

लोकतंत्र में चुनाव जनता के साथ नेता के लिए भी बहुत जरूरी व अहम होते हैं पर जीत और हार स्थाई नहीं होती है । बार बार चुनाव होते हैं और नेताओं को बार-बार मौका मिलता है ।नेताओ को पिछली हार को भुलाने के लिए  नए चुनाव का इंतजार होता है ।

     नैनीताल लोकसभा सीट से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट चुनावी मैदान में कांग्रेस की ओर से पूर्व सीएम हरीश रावत का मुकाबला कर रहे हैं  । इन दोनों ही नेताओं के लिए यह चुनाव जीतना बहुत जरूरी है क्योंकि इस जीत से इनके दामन पर लगे हार के धब्बे भी मिट जायेगे ।  हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस ने पिछला विधानसभा चुनाव हारा था तब वो सीएम थे।  कांग्रेस के हाईकमान ने भी हरीश रावत को पूरी छूट दी थी। टिकट वितरण में भी खुलकर हरीश रावत की ही चली थी ,इसलिए वो उत्तराखंड की दो  विधानसभा सीटों से चुनाव लड़े थे । वह एक तरह से प्रधानमंत्री मोदी के स्टाइल में ही चुनाव लड़े थे । आक्रमक राजनीति और पार्टी में सबसे आगे खुद को रखा  लेकिन हरीश रावत को जनता का साथ नहीं मिला जिस वजह से वह दोनों विधानसभा सीट से चुनाव हार गए ,इससे  हरीश रावत के विरोधियों ने उनकी इस हार का जमकर मजाक बनाया था। पार्टी में ही हरीश के विरोधियों ने खुलकर कहा कि रावत स्वयं दोनों सीट हार गए हैं ऐसे में उन्हें नैनीताल विधानसभा सीट से अपने दावेदारी छोड़ देनी चाहिए ।  हाईकमान में अपने पकड़ के चलते रावत  नैनीताल लोकसभा सीट से अपने लिए टिकट ले ही आए और अब मजबूती के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। रावत के लिए यह चुनाव बेहद ही जरूरी है इस जीत के साथ वह पार्टी में अपने विरोधियों का मुंह बंद करना चाहते हैं ,नहीं तो लगातार हार के बाद पार्टी में उनके विरोधी एक बार फिर उनके खिलाफ मोर्चा खोल देंगे ।  ऐसे ही जब वह अल्मोड़ा  लोकसभा सीट से कई बार भाजपा के बच्ची सिंह रावत से चुनाव हार रहे थे तब हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर उन्होंने  अपनी वापसी की थी । और बाद में मुख्यमंत्री पद को भी हासिल किया था ।

 अब बात करें भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट की ।  भट्ट मोदी की प्रचंड लहर में भी रानीखेत विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे तब भी  वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे । कहा तो यह भी जाता है कि यदि अजय भट्ट चुनाव नहीं हारते तो सीएम पद की रेस में भी आगे होते ।लेकिन चुनाव हारने के बाद की वजह से उनकी दावेदारी कमजोर पड़ गई और सीएम पद की बाजी त्रिवेंद्र रावत जीत गए इसके बाद राज्यसभा चुनाव में भी अजय भट्ट की दावेदारी हटा दी गई थी ।और उन्होंने बाद में अपनी नाराजगी भी जताई, जिसके चलते अब नैनीताल लोकसभा सीट से  पार्टी के प्रत्याशी चुने गए । यदि ऐसे में वह चुनाव जीतते हैं तो उनके दामन से पिछले हार का दाग छूट जाएगा और पार्टी में उनका कद बढ़ जाएगा। लेकिन यह सब तभी हो सकता है जब वह नैनीताल लोकसभा सीट का चुनाव जीत पाएंगे ।