छात्रवृत्ति घोटाले मामले में उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने एससी एसटी आयोग के चेयरमैन व सदस्यों को जवाब पेश करने के आदेश।

प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने एससी एसटी आयोग के चेयरमैन और सदस्यों को नोटिस जारी कर शपथ पत्र पेश कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।
आपको बता दें कि छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपी गीताराम नौटियाल ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए पूर्व में नैनीताल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और दोनों ही कोर्ट ने गीताराम नौटियाल की याचिका खारिज कर दी,जिसके बाद गीताराम नौटियाल पर एसआईटी ने एफ.आई.आर दर्ज की एफ.आई.आर दर्ज होने के बाद गीताराम नौटियाल ने एससी-एसटी आयोग में अपना उत्पीड़न होने का मामला दर्ज कराया और कहा कि एसआईटी उनका पूछताछ के नाम पर उत्पीड़न कर रही है,जिसके बाद आयोग ने गीताराम नौटियाल पर कार्रवाई न करने के आदेश दिए।
आयोग के इस आदेश को पंकज कुमार ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती देते हुए कहा कि आयोग को मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है,लिहाजा इन पर कार्रवाई जारी है साथ ही मामला कोर्ट में विचाराधीन है और आयोग ने कोर्ट के कार्यों में भी हस्तक्षेप करा है,तो लिहाजा आयोग के सभी लोगों पर कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई की जाए मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने आयोग के चेयरमैन समेत सभी सदस्यों को नोटिस जारी कर शपथ पत्र पेश कर जवाब देने के आदेश दिए हैं।
प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में पूर्व में मुख्य न्यायाधीश खंडपीठ ने एसआईटी को आदेश दिए थे कि वह घोटाले की जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें जिसके बाद एसआईटी ने जांच रिपोर्ट पेश की और कहा कि कुछ लोगों से पूछताछ होनी है,लिहाजा उन्हें आरोपियों से पूछने की इजाजत दी जाए।कोर्ट के आदेश के बाद एसआईटी ने गीताराम नौटियाल से पूछताछ की थी,जिसके बाद गीताराम नौटियाल ने उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एससी एसटी आयोग के पास अपनी शिकायत दर्ज कराई थी।
आपको बता दें की राज्य आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया गया जिससे स्पष्ट होता है कि 2003 से अब तक विभाग द्वारा करोड़ों रूपये का घोटाला किया गया है,जबकी 2017 में इसकी जांच के लिए पूर्व मुख्यमन्त्री द्वारा एसआईटी गठित की गयी थी और 3 माह के भीतर जांच पूरी करने को भी कहा था।परन्तु इस पर आगे की कोई कार्यवाही नहीं हो सकी साथ ही याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इस मामले में सीबीआई जांच की जानी चाहिए।