गरीब श्रमिकों की आवाज बने कांग्रेस के पूर्व विधायक नारायन पाल

तो सवाल यह है कि यदि श्रम विभाग द्वारा लॉकडाउन की अवधि में 1000-1000 रुपये की डीबीटी तथा अन्य कार्य एवं बोर्ड देहरादून द्वारा लॉकडाउन की अवधि में यदि कार्य किया गया है तो श्रमिकों के रजिस्ट्रेशन तथा नवीनीकरण हेतु संचालित सेंटर अभी तक क्यों बंद है, इससे गरीब श्रमिकों में बहुत असंतोष फैल रहा है यदि सेंटर कार्य करने में सक्षम नहीं हैं तो उचित होगा की सीएससी वालों को या श्रम प्रवर्तन अधिकारियों को यह कार्य फिर से सौंप दिया जाए ताकि श्रमिकों का पंजीयन नवीनीकरण एवं अन्य लाभ के आवेदन समय अंतर्गत निस्तारित किए जा सके और इस मुसीबत के समय में गरीब श्रमिकों को बोर्ड द्वारा प्रदान की जा रही योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सके, क्योंकि सेंटर बंद होने से पंजीकृत श्रमिक अन्य लाभ के लिए भी आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। इसको लेकर पूर्व विधायक व किसान नेता नारायन पाल ने कुमांऊ कमिश्नर से अनुरोध किया है कि तत्काल इस मामले पर आवश्यक कार्रवाई करें।