गरीबी के चलते मजदूरी करने को मजबूर क्रिकेटर

उत्तराखण्ड के रामनगर में रहने वाली क्रिकेट खिलाड़ी जानकी मेहरा ने भले ही अपने बेहतर खेल से कई प्रतियोगिताओं में अपनी टीम को जीत दिलाई हो, लेकिन घर में चल रही गरीबी ने उन्हें पहचान दिलाने वाले इस खेल से ही दूर कर दिया। ग्राम बंदोबस्ती क्यारी निवासी जानकी मेहरा क्रिकेट की खिलाड़ी हैं, जानकी का कैरियर 2010 में स्कूल से शुरु हुआ। अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी व गेंदबाजी के दम पर उत्तराखण्ड की अंडर- 19  टीम में जगह बनाते हुए वह 2010,2011, 2012 में उत्तराखण्ड की टीम से राष्ट्रीय मुकाबलों में उतरी। 2012 में जम्मू में आयोजित अन्तर्राज्यीय स्कूल टूर्नामेन्ट  के मुकाबले में जानकी ने छत्तीसगढ़ के खिलाफ मैच में 4 विकेट लिए और 25 रन भी बनाये। जानकी का कहना है कि वह उत्तराखण्ड ही नहीं देश के लिए खेलना चाहती थी, लेकिन गरीबी के कारण वह अपने हुनर को आगे नहीं बढ़ा पाई। जानकी के पिता की 2008 में ही मौत हो चुकी है, जबकि मां मूकबधिर हैं, और भाई मानसिक रुप से कमजोर है। ऐसे में गरीबी की वजह से परिवार की जिम्मेदारी उसके कंधों पर आ गई, परिवार के जिम्मेदारियाों के चलते खेल का मैदान तो उससे दूर हुआ ही, साथ में 12 वीं के बाद पढ़ाई भी छोड़नी पड़ी। हालात इतने खराब हो गये कि उसे परिवार की जिम्मेदारी संभालने के लिए उसे मजदूरी करनी पड़ रही है।


सोशल मीडिया एवं मीडिया के माध्यम से मामला जब खेलमंत्री के तक पहुंचा तो अब जानकी की मदद के लिए खेल विभाग आगे आया है। खेलमंत्री के निर्देश पर नैनीताल के जिला खेल अधिकारी रामनगर पहुंचे और अब उसका कालेज में दाखिला कराने व उसे खेल में आगे बढ़ाने के लिए हर तरह की मदद का आश्वासन दिया। साथ ही भरोसा दिलाया कि उसकी फीस जमा करने के अलावा क्रिकेट में अभ्यास के लिए पूरी किट व आर्थिक मदद खेल मंत्री द्वारा दी जाएगी।