क्या पुलिस के इस कदम से रुक पाएगी भिक्षावृत्ति

चारधाम यात्रा से लेकर प्रमुख पर्वों पर अचानक भिखारियों की संख्या बढ़ जाती है। हरिद्वार, देहरादून और उधम सिंह नगर में भिखारियों की सबसे ज्यादा संख्या है। चारोंधाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ में भी सीजन के दौरान पूरे रुट पर भिखारी होते हैं।पुलिस ने कई अभियान चलाते हुए भिक्षावृत्ति में संलिप्त पाए गए बच्चों को ना केवल चाइल्ड वेलफेयर कमिटी से लेकर परिजनों के सुपुर्द कराया, बल्कि इसके अलावा कई बच्चों को बाल सुधार गृह भी भेजा है।लेकिन बच्चों की तस्करी कर उनको भिक्षावृत्ति में धकेलने वाले गैंग तक पुलिस नहीं पहुंच पाती है।अब पुलिस भिक्षावृत्ति कराने वाले लोगों व बच्चों को चिन्हित कर उनका डीएनए टेस्ट कराएगी।इसका मकसद भिखारी गैंग से लेकर बच्चा चोर गिरोह तक पहुंचना है।पुलिस मुख्यालय ने इसे लेकर बच्चों पर काम करने वाले एनजीओ के साथ बैठक कर रणनीति बनाने का निर्णय लिया है।अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि बच्चों से भीख मंगवाना कानूनन अपराध है, अभी तक पुलिस ने अभियान के दौरान बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्त कराते हुए स्कूल में दाखिला दिलाने के साथ ही परिजनों के सुपुर्द भी किया है, मगर अब पुलिस ने बच्चों के असली माता पिता का पता करने के लिए डीएनए टेस्ट कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए 22 अप्रैल को पुलिस मुख्यालय में बैठक रखी गई है, बैठक में एनजीओ, बच्चों की सुरक्षा और अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले संगठनों को भी बुलाया है।बच्चों के परिजनों के पास अभी तक सिर्फ बर्थ सर्टिफिकेट या गांव के प्रधान का प्रमाण पत्र होता है।ऐसे में पुलिस इन पत्र के आधार पर खुद को बच्चों के असली माता पिता बताने वालों पर भरोसा कर लेती है|