क्या उत्तराखंड के गांवों में होंगे नेपाली मूल के प्रधान
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यूट्यूब पर उत्तराखंड के गांवों से पलायन की स्थिति को दर्शाता कॉमेडी वीडियो नेपाली मूल का प्रधान तो सबने देखा होगा,लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होने जा रहा है|उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के ऐलान के बाद इसमें अभी तक कई पेंच सामने आ चुके हैं,कुछ मामले कोर्ट में पहुंच रहे हैं तो कुछ राज्य निर्वाचन आयोग के पास|अब पिथौरागढ़ जिला प्रशासन के सामने एक ऐसा मामला सामने आया है कि जिसमें उन्हें निर्वाचन आयोग से दिशा निर्देश मांगने पड़े हैं|
पंचायत चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बीच पिथौरागढ़ जिले में ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं,जहां नेपाल से ब्याह कर आई महिला ने अपने ससुराल पक्ष के गांव में पंचायत चुनाव लड़ने की दावेदारी पेश की है,इनका नाम उत्तराखंड की पंचायत वोटर लिस्ट में भी शामिल है,लेकिन इनके पास विधिवत भारतीय नागरिकता न होने पर पिथौरागढ़ जिला प्रशासन ने राज्य निर्वाचन आयोग से ऐसे मामलों में नामांकन दाखिल कराने या ना कराने को लेकर दिशा निर्देश मांगे थे, इस पर निर्वाचन आयोग द्वारा जिलाधिकारी को निर्देशित कर कहा है कि पंचायतीराज एक्ट में स्पष्ट है कि सिर्फ भारतीय नागरिकों के नाम ही वोटर लिस्ट में दर्ज हो सकते हैं, ऐसे में यदि कुछ नाम बिना विधिवत नागरिकता के वोटर लिस्ट में दर्ज हो गए हैं तो उन्हें वोटर लिस्ट से तत्काल हटा दिया जाए| इस तरह ऐसी महिलाएं अब न तो पंचायत चुनाव लड़ पाएंगी न तो वोट दे सकेंगी|नेपाल के साथ सदियों से भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्ते रहे हैं,दोनों देशों के सीमांत क्षेत्रों में रोटी बेटी के रिश्ते आम हैं,नेपाल की ही तरह भारत की कई बेटियों के ब्याह नेपाली नागरिकों से हुए हैं|उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी सदियों से रह रहे गोर्खाली समुदाय के नेपाल से वैवाहिक रिश्ते एवं पारिवारिक रिश्ते रहे हैं|वहीं पिथौरागढ़,ऊधमसिंह नगर व चंपावत में बड़ी संख्या में नेपाल से बहुएं आई हैं|