कौन ले रहा है राजनीति से संन्यास

सोशल मीडिया पर अपने बयानों से चर्चाओं में रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत की एक पोस्ट फिर से सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। इस पोस्ट की शुरूआत उन्होंने जिस तरह से की है,उसके कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।उन्होंने लिखा है-हां, समय आ गया है।सक्रिय राजनीति में बने रहना कोई सामान्य निर्णय नहीं होता है।यदि आप 70 वर्ष की लक्ष्मण रेखा को पार चुके हैं तो।इस रेखा से आगे बढ़कर सक्रिय राजनीति करना सामान्य निर्णय नहीं है।इसी पोस्ट में एक जगह उन्होंने पार्टी में युवाओं को लगातार अवसर देने का जिक्र किया है और एक अन्य जगह लोकसभा चुनावों में अपने स्थान पर अपने पुत्र का नाम प्रस्तावित करने की बात भी लिखी है।इससे उनके सक्रिय राजनीति से दूरी बनाने के कयास भी लगाए जा रहे हैं।पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं।प्रदेश में विधानसभा चुनावों और फिर लोकसभा चुनाव में मिली हार उन्हें कहीं न कहीं कचोटती रही है।यही कारण है कि सोशल मीडिया में लिखी पोस्ट में उन्होंने इन पराजयों का भी जिक्र किया है।उन्होंने अपनी पोस्ट में उम्र का हवाला देते हुए कहा है कि बढ़ती उम्र के साथ प्रतिस्पर्धात्मक राजनीति में बने रहना अत्याधिक कठिन कार्य है।उम्र के साथ आपका दायरा व आपसे अपेक्षाएं दोनों ही बढ़ जाती है।वास्तविकता में उम्र के साथ काम करने की क्षमता कम हो जाती है।अधिक भाग दौड़ नहीं होती और आप आक्रमक नहीं हो सकते।पोस्ट में उन्होंने कहा कि कुछ लोग इसका अपवाद हैं,अनेक नाम ऐसे हैं जो ओल्ड इज गोल्ड की कहावत को सही रूप में चरितार्थ कर रहे हैं।इसके बावजूद उनकी समझ में ऐसे लोगों के लिए कट ऑफ लाइन होनी चाहिए।पूर्व मुख्यमंत्री ने देश की विभिन्न पार्टियों में एजिंग फैक्टर को चिंताजनक स्थिति में माना है।उन्होंने लिखा है कि भविष्य की पार्टी को गो यंग के सिद्धांत पर दृढ़ता से अमल करना चाहिए और एकाध हार से घबराना नहीं चाहिए। युवा को लगातार अवसर व विश्वास देना पार्टी के लिए आवश्यक है।उन्होंने इसके अलावा अपने राजनीतिक सफर का जिक्र करने के साथ ही मुख्यमंत्री के रूप में किए गए कार्य भी गिनाए हैं।